नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का केंद्र के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा है। लोकसभा चुनाव 3019 में भी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस में जमकर ठनी हुई थी। पश्चिम बंगाल में एक ओर अपना किला बचाने की जुगत में ममता दीदी लगी हुर्इं थी वहीं दूसरी ओर भाजपा पूरा जोर लगा रही थी बंगाल हथियाने के लिए। इसके तहत ममता बनर्जी ने ताबड़तोड़ हमले पीएम मोदी और अमित शाह पर किए। अब एनआरसी के मुद्दे पर एक बार फिर ममता बनर्जी केंद्र के साथ दो-दो हाथ करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कोलकाता व्यापार संघ को संबोधित करते हुए सोमवार को उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि एनआरसी को लेकर उसने भय का माहौल बनाया है। सोमवार को बनर्जी ने दावा किया कि इस वजह से राज्य में छह लोगों की मौत हुई है। यहां उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि ‘एनआरसी बंगाल या देश के किसी भी हिस्से में नहीं होगा।
असम में यह असम समझौते की वजह से हुआ। असम समझौता 1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और आॅल असम स्टुडेंट्स यूनियन के बीच हुआ था। बनर्जी ने कहा, ” बंगाल में एनआरसी को लेकर भय पैदा करने वाली भाजपा पर धिक्कार है, इसके कारण पश्चिम बंगाल में छह लोगों की जान चली गई। मुझ पर भरोसा रखिए, पश्चिम बंगाल में एनआरसी को कभी मंजूरी नहीं मिलेगी । भाजपा पर देश में ” लोकतांत्रिक मूल्यों को कमतर करने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने कहा, ” पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र है लेकिन देश के कई अन्य हिस्सों में यह खतरे में है। उन्होंने कहा कि भाजपा रोजगार छीनने या भारत की अर्थव्यवस्था के नीचे जाने की कोई बात नहीं कर रही, वह तो बस अपने राजनीतिक हितों को साधना चाहती है। बनर्जी ने कहा कि हमने देखा कि उन्होंने (एबीवीपी, भाजपा) यादवपुर विश्वविद्यालय में क्या किया, वे हर जगह सत्ता हासिल करना चाहते हैं। । बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी कहा था कि यदि बिहार में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू किया गया तो उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) इसका जमकर विरोध करेगी और आन्दोलन भी चलायेगी।