- साढ़े चार दशक से करनाल के हितों के सजग प्रहरी बने हैं त्रिलोचन सिंह
- पांच सालों से जनता के बीच रहकर लोगों के हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं
- दो मुख्यमंत्रियों के सामने चुनाव लड़ कर सम्मानजनक वोट लेने का गौरव मिला है
Aaj Samaj (आज समाज),Trilochan Singh , करनाल: करनाल में भले ही वह विधायक नहीं बने हो। भले ही वह सरकार में मंत्री नहीं रहे हों। लेकिन एक ऐसा व्यक्तित्व जो पिछले पांच दशक से लोगों के बीच रह कर उनकी आवाज उठा रहा है। जो सच्चे सिंह साहिब की तरह लोगों के सुख दुख में शामिल रहा हो।
जिसका पांच दशक का सार्वजनिक जीवन बेदाग और संषर्ष पूर्ण रहा हो। ऐसे लोग बिरले ही होते हैं। करनाल के त्रिलोचन सिंह ऐसे ही किरदार का नाम है। जिसने जनता के बीच रहकर लोगों की लड़ाई लड़ी है । भले ही वह करनाल में मैडीकल कालेज की हो या फिर करनाल की बेटी कल्पना चावला की यादों को न्याय दिलाने की बात हो।
हमेशा त्रिलोचन सिंह आगे रहे। लोगों के सुखस दुख में शामिल रहने वाले त्रिलोचन सिंह करनाल के हितों के असली प्रहरी हैं। वह 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ चुनाव लड़े और 36 हजार वोट लिए। 2024 के उप चुनाव में फिर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के खिलाफ चुनाव लड़े और 56 हजार मत लिए। इस बार लगभग बीस हजार अधिक वोट लिए।
त्रिलोचन सिंह राजनीतिक धार्मिक सामाजिक संस्थाओं से जुडे हुए हैं। उन्होंने करनाल में लोगों के हकों के लिए आंदोलन किए जेल भी गए। करनाल में कल्पना चावला मैडीकल कालेज बनवाने के लिए रेल रोको आंदोलन की अगुवाई की। वहीं पर देश की सबसे बड़ी मानव श्रंखला बनाने मे सहयोग त्रिलोचन सिंह गुरु रविदास सभा के पैटर्न रहे। गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल के 24 साल से चेयरमैन हैं। जिला अरबन कोपरेटिव बैंक और लेंड एंड मोरगेज बैंक के डा रेक्टर रहे, जिला ओलिम्पिक साइकिलंग एसोसिएशन के चैयरमैन रहे। करनाल ज्वाला देवी कल्ब के संरक्षक रहे।
देश और विदेश में युवाओं को संस्कार देने वाली संस्था निफा के पैटर्न हैं। जो छह विश्व रिकार्ड बना चुकी है। इसके अलावा उसको नैशनल यूथ एवार्ड मिला। त्रिलोचन सिह निर्मल कुटिया के सेवादार हैं। उन्होंने 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ा और मुख्यमंत्री को कड़ी टक्कर दी। उसके बाद वह तब से लगातार लोगों के हितों के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं। जिन मुद्दों को मुख्यमंत्री ने हल नहीं किया।
उन्होंने जनता के बीच जा कर हल करवाया। उन्होंने देश का संविधान और लोक तंत्र बचाने के लिए आंदोलन किया। पुलिस ने उन्हे उनके साथियों के साथ गिरफ्तार किया।सरकार को नुकसान पहुंचाने के एवज में उनके तथा उनके साथियों के खिलाफ 107,151 के तहत मामले दर्ज किये। उनके खिलाफ मामले चले।उनकी गिनती करनाल ही नहीं देश और प्रदेश में चुनिंदा संषर्ष शील जन नेताओं में होती है। उन्होंने विधानसभा का उप चुनाव भी मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी के खिलाफ लड़ा। और समनजनक वोट हांसिल किए। सरकार के दबाव और पार्टी के कुछ नेताओं के असहयोग के बाद भी उन्होंने कांग्रेस का परचम फहराया।
कांग्रेस के प्रति समर्पित त्रिलोचन सिंह संकट की स्थिति में पार्टी के साथ खड़े रहे। वह हरियाणा राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन रहे। उन्होंने प्रदेश के अल्पसंख्यकों के लिए काम किया। उनके समय में अल्प संख्यक समुदाय को न्याय मिला। उनसे जुडी योजनाएं लोगों तक पहुंची। उनकी पत्नी भी निर्मल कुटिया के साथ पिछले चार दशक से जुड़ी हुई हैं। वह भी निर्मल कुटिया के साथ जुडे हैं। उनकी पत्नी को शबद गायन में महारत हांसिल है। उनकी पत्नी उनके साथ सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चलती है। वह हमेशा अपने साथियों के प्रति समर्पित रहते हैं।