Aaj Samaj (आज समाज), Tricity Scientists, चंडीगढ़: वैज्ञानिकों ने वैश्विक महामारी कोविड-19 की एक ऐसी दवाई की खोज की है जो सार्स कोविड-2 व इंफल्युएजा वायरस पर एफडीए अप्रूव्ड दवाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा कामयाब है। पंचकूला, मोहाली व चंडीगढ़ यानी ट्राइसिटी के वैज्ञानिकों ने तीन साल की मेहनत के बाद यह कर दिखाया है।
मरीज को वायरस नहीं पहुंचा पाएगा नुकसान
कोविड व इन्फ्लुएंजा के अभी तक आए सभी वायरस म्युटेंट्स पर दवा कामयाब है। अभी तक मौजूद एफडीए अप्रूव्ड दवाओं के प्रति रसिस्टेंट पैदा हो जाती है, लेकिन टेस्टिंग में साबित हुआ कि इस दवा के प्रति रसिस्टेंस नहीं आती और इससे मरीज के शरीर में वायरस नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। जानवरों पर मिली सफलता व दवा का साइड इफेक्ट नहीं होने के कारण अब इसे क्लीनिकल ट्रायल के लिए उपयुक्त माना गया है।
क्लीनिकल ट्रायल के बाद बाजार में उपलब्ध होगी दवा
ट्राइसिटी की तीन लैब व आईआईएससी बैंगलुरु की लैब दवा की खोज में जुटी थीं। इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइजर) मोहाली, सीएसआईआर-इमटेक चंडीगढ़ और आईआईटी रोपड़ की ओर से इस मॉलीक्यूल के लिए यूएस पेटेंट फाइल कर दिया गया है। क्लीनिकल ट्रायल के बाद ही ये दवा बाजार में उपलब्ध हो सकेगी।
इन्होंने टेस्टिंग व वैलिडिएशन पर काम किया
5 मोलेक्युल्स को सार्स कोरोना व इंफ्युल्युएंजा के सभी वैरिएंट्स पर सफल पाया गया है। सीएसआईआर-इमटेक से डॉक्टर राजेश पी रिंगे व डॉक्टर कृष्ण गोपाल और आईआईएससी बेंगलुरु से डॉ राघवन ने दवा की टेस्टिंग व वैलिडिएशन पर काम किया है। इरशाद माजिद, चरनदीप सिंह, साहिल, राजू राजामणी, देब्यजोत, अंशुल, प्रियंका, वृंदराजन भी टीम का हिस्सा हैं।
आइजर मोहाली के डॉ इंद्रनील बैनर्जी के स्टूडेंट व इसके प्रमुख रिसर्चर निर्मल कुमार का कहना है कि जनवरी 2020 में वह इन्फ्लुएंजा को टारगेट कर काम कर रहे थे। आईआईटी रोपड़ में कुछ नई दवाएं तैयार हुई थीं, इंफल्युएंजा पर काम करने वाली आइजर की लैब में इन्हें चेक करने के लिए भेजा गया। 30 मॉल्युक्यूल में एक को इन्फ्लुएंजा पर पूरी तरह कामयाब पाया गया जिसको डीपीयूडी 1 नाम दिया गया।
उस समय तक सार्स कोरोना 2 भारत में ज्यादा नहीं था। इस दवा से प्रेरित उन्होंने कई ड्रग्स बनाए। ये दवा बाजार में पहले मौजूद दवाओं की तरह वायरस के प्रोटीन को टारगेट नहीं करती बल्कि इंसानी शरीर के अंदर इसके प्रवेश राह को ही बंद कर देती हैं। इसकी टॉक्सिसिटी नेगलिजिबल है। आईआईटी रोपड़ के डॉ प्रबल बैनर्जी की लैब में इन दवाओं को बनाया गया है।
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