- इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इस्तेमाल से बच्चों में बढ़ रही वर्चुअल ऑटिज्म की बीमारी
Aaj Samaj (आज समाज),Trend Of Electronic Gadgets,पानीपत:आंगन में नीम और बरगद मुरझाने लगे हैं, लगता है घर के बच्चे अब मोबाइल चलाने लगे हैं।आज बच्चों को छोटी उम्र से ही पेरेंट्स मोबाइल फोन की लत लगा देते हैं, जो बाद में चलकर उनके लिए कई समस्याओं का कारण बन जाता है। इससे बच्चे मानसिक रूप से कमजोर होने लगते हैं, जिसे वर्चुअल ऑटिज्म कहते हैं।
आज इसमें कोई दो राय नहीं है मोबाइल फोन, टीवी, टैबलेट, कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बना रहे हैं। यह कहना है सामजसेवी भावना जैन का।
मां-बाप पीछा छुड़ाने के लिए बच्चों को मोबाइल थमा देते
भावना जैन ने कहा एक रिपोर्ट के मुताबिक इन सबसे बच्चों में ऑटिज्म की बीमारी बढ़ रही है और उनकी सोशल कम्युनिकेशन और बिहेवियर स्किल्स प्रभावित हो रही हैं। बच्चे जब रोते हैं या किसी चीज के लिए जिद करते हैं तो अक्सर मां-बाप पीछा छुड़ाने के लिए बच्चों को मोबाइल या कोई और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट थमा देते हैं। यह ट्रेंड आजकल काफी आम हो गया है। इससे बच्चा शांत तो हो जाता है लेकिन इससे उसे कई घंटे स्क्रीन के सामने बिताने की लत लग जाती है।
माता-पिता को सावधान और चौकन्ना रहना चाहिए
भावना जैन ने कहा कि कम उम्र में बच्चों को फोन थमाने से उनका मानसिक विकास प्रभावित होता है। इतना ही नहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल, गैजेट्स और ज्यादा टीवी देखने की लत बच्चों का भविष्य खराब कर रही है। इससे उनमें वर्चुअल आटिज्म का खतरा बढ़ रहा है। बच्चों के लिए फ़ोन पर निजी जानकारी देना या अनुचित सामग्री देखना बहुत आसान है। इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि जब बच्चे मोबाइल फ़ोन का उपयोग करें तो माता-पिता को सावधान और चौकन्ना रहना चाहिए।
पैरेंट्स क्या करें
अक्सर जब बच्चा छोटा होता है तो पेरेंट्स उन्हें पास बिठाकर मोबाइल फोन दिखाते हैं। बाद में बच्चों को इसकी लत लग जाती है। पेरेंट्स को सबसे पहले तो अपने बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर खना है। उनका स्क्रीन टाइम जीरो करने पर जोर देना चाहिए। उनका फोकस बाकी चीजों पर लगाएं। स्लीप पैटर्न भी दुरुस्त करें। बच्चों को आउटडोर एक्टिविटीज़ के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने के लिए मां-बाप को पहले खुद में सुधार करना होगा। बच्चों को सामने खुद भी फोन से दूरी बनानी होगी और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज में हिस्सा लेना चाहिए।
1. प्रकृति और पशु पक्षियों के बारे में उनसे बात करें
2. घर में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के बारे में जानकारी दें और उसके बच्चों से बातचीत करें
3. बच्चों को फलों और फलो के बारे में जानकारी दें
4. उनको कोई न कोई ऐसी एक्टिविटी दें जिसमे वो दिमाग भी लगाएं कर बोले भी
5. आजकल ऐसे बहुत सारे खिलौने बाजार में उपलब्ध हैं, जिनसे बच्चा फ़ोन या टीवी की बजाय बहुत कुछ सिख सकता हैम जैसे एनिमल्स टॉय, फ्रूट्स, किचन सेट, डॉक्टर सेट आदि
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