मनोज वर्मा, कैथल:
जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा सख्त नजर आए। मंत्री ने डाक्टरों की लापरवाही से युवक की मौत के मामले में अस्पताल को सील करने के आदेश दिए। हालांकि सीएमओ ने असमर्थता जताई। कैथल के गांव बढ़सीकरी निवासी नरेश कुमार के 19 वर्षीय बेटे विकास को खेत में काम करते हुए स्प्रे चढ़ जाने की तबीयत बिगड़ गई थी। वह उसे कलायत के श्रीकृष्णा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल ले गया, जहां सात दिसंबर 2019 को उसके बेटे विकास की मौत हो गई। नरेश ने डाक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया और स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह साबित भी हो गई। डाक्टर के खिलाफ 13 जुलाई 2020 को एफआइआर दर्ज कर ली गई, दो साल बीत जाने पर कार्रवाई आगे बढऩे का नाम नहीं ले रही।
युवक की मौत में साबित हुई थी डॉक्टर की लापरवाही
बुधवार को एक बार फिर नरेश अपने बेटे की मौत पर इंसाफ मांगने जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा के सामने हाथ जोड़े खड़ा रहा। परिवहन मंत्री ने बात सुनकर मौके पर मौजूद सिविल सर्जन डॉ. जयंत आहुजा को अस्पताल को सील करने के आदेश जारी कर दिए। लेकिन बाद में सिविल सर्जन ने ऐसा कुछ भी करने में असमर्थता जाहिर की। उन्होंने मीटिंग से बाहर निकलते ही नरेश को 2 टूक कह दिया कि वह अस्पताल सील नहीं कर सकते। आप सारी रिपोर्ट लेकर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चले जाओ। वह कुछ नहीं कर सकते। शिकायतकर्ता नरेश का आरोप है कि अस्पताल के डाक्टर के पास कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से उस पर कोई कार्रवाई नहीं जा रही है। उसका आरोप है कि उसके बेटे की तरह ही गांव चौशाला निवासी गीता की भी गलत इंजेक्शन लगने के कारण इस अस्पताल में मौत हो चुकी है। जिसका डीडीआर 12 सितंबर 2020 में दर्ज है।
नेगलिजेंस बोर्ड की जांच रिपोर्ट में डाक्टर की लापरवाही हुई साबित
सिविल सर्जन डॉ. जयंत आहुजा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के नेगलिजेंस बोर्ड की तरफ से जांच पूरी की जा चुकी है। इसमें डाक्टर की लापरवाही साबित हुई है। इसके बावजूद उन्हें अस्पताल को सील करने का अख्तियार नहीं है। पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। वह अपनी जांच रिपोर्ट शिकायतकर्ता को दे चुके हैं। अस्पताल सील करने का अधिकार प्रशासन के पास है। वह अपने स्तर पर ऐसा नहीं कर सकते।
मंत्री ने कहा, कार्रवाई होगी
परिवहन मंत्री मूल चंद शर्मा ने कहा कि सिर्फ यही अस्पताल नहीं, बल्कि ऐसे सभी अस्पतालों पर कार्रवाई होगी जिनके पास डिग्री नहीं है। दवाएं नहीं है। जाहिर है कि इनसे लोगों की जान को खतरा रहता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सख्त आदेश हैं कि ऐसे अस्पताल नहीं चलने दिए जाएंगे।
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