नई दिल्ली। ओलंपिक खेलों में पहली बार भाग ले रहीं भारत की युवा महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर देश का सिर ऊंचा किया है। महिला बॉक्सिंग के 69 किलो भार वर्ग में खेलने वालीं लवलीना को बुधवार को दुनिया की नंबर एक बॉक्सर तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। अगर इस मैच में वह जीत दर्ज करती तो फिर इस वेट कैटिगरी के फाइनल में गोल्ड मेडल पर अपना दावा ठोकतीं। लेकिन अपने पहले ही ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं हैं। असम की यह 23 वर्षीय मुक्केबाज ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली देश की तीसरी बॉक्सर बनी हैं। इससे पहले पुरुष बॉक्सिंग में विजेंदर सिंह 2008 बीजिंग ओलंपिक, जबकि एमसी मैरी कॉम 2012 लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। विश्व चैंपियनशिप की दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना इस सेमीफाइनल मुकाबले में बुसेनाज ने खिलाफ शुरूआत से ही पिछड़ गईं। वर्ल्ड चैंपियन बुसेनाज ने उन्हें कोई मौका नहीं दिया और वह सर्वसम्मति से 5-0 से जीत दर्ज करने में सफल रहीं। तुर्की की इस विश्व चैंपियन खिलाड़ी के दमदार मुक्कों और तेजी का लवलीना के पास इस बार कोई जवाब नहीं था। वह बड़े मुकाबले में नर्वस भी थीं, जिसके कारण कई मौकों पर उनसे गलतियां भी गईं। लवलीना ने इससे पहले अपने क्वॉर्टर फाइनल मैच में पूर्व विश्व चैंपियन चीनी ताइपै की नियेन चिन चेन को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाते हुए अपना यह ब्रॉन्ज मेडल पक्का कर लिया था। उस मुकाबले में उन्होंने 4-1 से जीत दर्ज की थी। लवलीना का यह पदक पिछले 9 वर्षों में भारत का ओलंपिक बॉक्सिंग में पहला पदक है। लवलीना के इस ब्रॉन्ज मेडल के बाद टोक्यो ओलंपिक में भारत के पदकों की कुल संख्या 3 हो गई है, जिसमें एक रजत और दो कास्य पदक शामिल हैं. देश को ये तीनों ही पदक महिला एथलीट्स ने दिलाए हैं। भारत को रजत पदक वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने दिलाया था, जबकि लवलीना से पहले बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने इन ओलंपिक खेलों में भारत को पहला ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था।
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