डाॅ.श्रीकृष्ण शर्मा
टोक्यो भारत के लिए शुभ साबित होता रहा है। एक बार फिर टोक्यो का खेल मंच भारतीय के हित में दिखाई पड़ा। जहां भारत के खिलाड़ियों ने सात पदक जीत कर नया अध्याय जोड़ दिया। ओलंपिक खेलों में भारत का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। लंदन ओलंपिक खेलों में भारत ने छः पदक जीते थे। जिसमें विजय कुमार ने शूटिंग में,सुशील कुमार ने कुश्ती में रजत पदक ,गगन नारंग ने शूटिंग में,योगेश्वर दत्त ने कुश्ती में, साइना नेहवाल ने बैडमिंटन और मैरीकाॅम ने मुक्केबाजी मेें कांस्य पदक जीते थे। लंदन ओलंपिक की बड़ी जीत के बाद रियो ओलंपिक खेलों में केवल दो पदकों पर ही सिमट कर रह गए थेे। रियो में पी वी सिंधू ने बैडमिंटन में रजत पदक और साक्षी मलिक ने कांस्य पदक पर कामयाब हो पाई थीं। इसलिए सभी अपनी नजरें टोक्यो ओलंपिक खेलों पर टिकाए हुए थे। भारत का साधारण जनमानस से लेकर मंत्री,प्रधानमंत्री तक इन टोक्यो ओलंपिक खेलो से जुड़े हुए थे। टोक्यो ओलंपिक खेलों भारत ने एक स्वर्ण पदक,दो रजत कदक और चार कांस्य पदक जीतकर एक शानदार वापसी की है। टोक्यो ओलंपिक खेलों को लेकर जो तैयारियां की गई थी वे एक मायने में ठीक साबित हो रही हैं। अगर इसी तरह से योजनाओं पर अमल होता रहा तो अगले ओलंपिक खेलों में भारतीय वे भी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी जो टोक्यो में कम रह गईं है। भारत के भारी भरकम दल भजने के दौरान संबंधित खेल संघों द्वारा पदक जीतने को लेकर जो बड़ी बड़ी बातें की जाती है अगर उनसे हठकर रणनीतिकारों के अनुमानों की बात करें तो कहा जा रहा था कि पदकोें का आंकड़ा दहाई तक पहुंच जाएगा। जो न हो सका। जिसपर मंथन की बात उठने लगी है। साथ ही उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन न कर पाने वाले खेल संघों की कार्यप्रणाली में भी बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। जो भविष्य की मजबूती है लिए जरूरी भी हैं।
टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा की स्वर्ण पदक की शानदार सफलता से पूरा भारत झूम उठा है। ट्रैक एंड फील्ड में सौ साल के बाद मिली जीत ने इतिहास में एक पन्ना जोड़ दिया और दुनिया में भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू और कुश्ती में रवि दहिया ने यहां रजत पदक जीते। भारत के खाते में कांस्य पदक दर्ज कराने वालों में हमारी पुरूष हाॅकी टीम,महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन,बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू एवं पहलवान बजरंग पूनिया भी शामिल हैं। अगर हम टोक्यो की विशेष तौर से बात करें तो भारत के लिए यह बहुत भाग्यशाली रहा है। हम हवाई सिख मिल्खा सिंह और उड़नपरी पी टी ऊषा की ओलंपिक खेलों में बहुत ही करीब से मेडल का चूक जाने की कसक अभी साथ लिए आ रहे थे। नीरज चोपड़ा भाला फैंक में स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया के हीरो बन गए। भारत की पुरूष और महिला हाॅकी ने बेहतरीन खेल दिखाया। पुरूष हाॅकी ने इक्तालीस साल बाद खेल म जबरदस्त वापसी की जबकि महिला हाॅकी बेशक पदक से चूक गई लेकिन टीम ने विश्व पटप पर अपनी ताकतवर टीम के रूप में बना ली। पुरूष हाॅकी का ओलंपिक खेलों यह बारहवां पदक है। जिनमें स्वर्ण पदकों की ही संख्या आठ हैै। एक रजत पदक और तीन कांस्य पदक भारतीय पुरूष हाॅकी ने जीते हैं। व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में केवल दो स्वर्ण पदक भारत की छोली में डालने वालों में एथलीट नीरज चोपड़ा के अलावा अभिनव बिंद्रा है।
अभिनव बिंद्रा ने पेईचिंग ओलंपिक खेलों में निशानेबाजी में यह कामयाबी पाई थी। पेईंिचंग ओलंपिक खेलों में कुश्ती में सुशील कुमार और मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने भी कांस्य पदक जीतकर पदको को तीन संख्या में पहुंचाया था। इससे पहले एथेंस ओलंपिक में शुटिंग में राज्यवर्धन सिंह राठौर की रजत पदक की कामयाबी ने व्यक्तिगत खेलों में भारतीय पदक के रंग को बदला था। सिडनी ओलंपिक खेलों में पहली बार शामिल की गई महिला भारोत्तोलन में कर्णम मल्लेश्वरी और अटलांटा ओलंपिक खेलों में टेनिस में लिएंडर पेस पदक जीत चुके थे। पहले व्यक्तिगत मुकाबलों में भारत की जीत हमारे पहलवान खाशाबा जाधव ने हेल्सिंकी ओलंपिक खेलों में कुश्ती में कांस्य पदक के साथ दिला दी थी। इसके चवालीस साल बाद तक भारत का बडा दल जाता रहा और व्यक्तिगत मुकाबलों से खाली हाथ आता रहा। लिएंडर पेस ने एटलांटा ओलंपिक खेलों में पदक जीतकर जो सिलसिला फिर से शुरू किया था अब मजबूत होता दिख रहा है।