चीन और भारत के बीच एलएसी पर पूर्ववत स्थिति बनाने के लिए लगातार बातचीत चल रही है। चीन पूर्व लद्दाख में पीछे हटने को तैयार तो गया और पीछे हटा भी लेकिन अभी भी वह फिंगर आठ के पीछे जाने को तैयार नहीं है। भले ही चीन बातचीत के बाद पीछे हटने को तैयार हुआ और पीछे हटा भी है लेकिन भारत ने इस पर अपनी नजर बना कर रखी हुई है क्योंकि चीन अपनी वादा खिलाफी के लिए मशहूर है। वह किसी तरह की चालबाजी न खेलने पाए इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। साथ ही चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए सेना भी हााई अलर्ट पर है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इसी कड़ी में शुक्रवार को सेना प्रमुख नरवणे के साथ लद्दाख जाकर सैन्य तैयारियों और हालात का जायजा लेंगे। सूत्रों ने बताया कि रक्षामंत्री सेनाध्यक्ष, उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी, 14 कोर के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ सुरक्षा के हालात की विस्तृत समीक्षा करेंगे। इससे पहले बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, विदेशमंत्री एस जयशंकर, सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख के हालात की समीक्षा की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि भारत नियंत्रण रेखा का पूरा सम्मान करता है लेकिन एलएसी पर यथास्थिति में कोई बदलाव मंजूर नहीं होगा। इसे लेकर दोनों द ेशों केबीच सहमति बनी है और पहले से बनी चौकियों पर सैनिकों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में तनाव समाप्त करने के लिए सेनाओं को पीछे हटाने की प्रक्रिया जारी है। यह जटिल प्रक्रिया है और इस मामले में तथ्यहीन खबरों से बचना चाहिए।