सुरेन्द्र दुआ, नूंह:
time lapse on blackjack business: पिछडे जिला नूंह(मेवात) ग्रामीण जिला हैं यहां पर ज्यादातर लोग गांवों में निवास करते हैं और मुख्य धंधा खेती हैं लेकिन यहां पुरानी रीति के अनुसार घर और हाथ में लाठी शान समझी जाती हैं तथा यहां का व्यक्ति जब कहीं जाता है तो वह अपने हाथ में लाठी लेकर जाना एक परम्परा सी मानी जाती हैं। जिला में चैत्र माह में फसल कटान हो रही है और घरों में दो पैसा आ रहा है लेकिन इस माह में लाठियों की ज्यादा जरूरत होती है क्योकि कीड़ा कांटों से रक्षा व फसल से पशुओं की रखवाली के अलावा वाद-विवाद में लाठियां काम आती है लेकिन अब माहौल बदल गया है और बदलते परिवेश में अब लाठियों की दुकानदारी कम होने लगी हैं।
लोगों ने लाठियों को खरीदना कम कर दिया
लाठी बेच रहे एक व्यक्ति ने बताया कि पहले उनके द्वारा गांव,शहरों में काफी लाठियां बेची जाती थी लेकिन अब जगह-जगह खुली दुकानों के अलावा लोगों ने लाठियों को खरीदना कम कर दिया है जिसके चलते उनकी दुकानदारी में काफी फर्क पडा है। उन्होंने बताया कि लाठी रखना मेवात की शान समझी जाती हैं तथा पुराने जमाने में साहूकार अपने पास लठेत रखते थे जबकि लोग लाठियों को लेकर बाजार या अन्य जगह जाना अपना गु्रर समझते थे लेकिन लोग पढ लिख रहे हैं, पुरानी सभ्यता को छोडकऱ नए जमाने के साथ चल रहे हैं और अब इस धंधे पर भी समय की मार पड़ गई हैं।
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