हिसार सावित्री जिंदल, गन्नौर से देवेंद्र कादयान और बहादुरगढ़ से राजेश जून ने निर्दलीय लड़ते हुए जीत की हासिल
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में 8 अक्टूबर को 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए संपन्न हुए प्रदेश के 14 वें आम चुनाव के नतीजों में प्रदेश में गत 10 वर्ष से सत्तासीन भगवा पारी भाजपा ने इस बार अप्रत्याशित 48 सीटें जीत सबको हैरान और कांग्रेस को परेशान करते हुए स्वयं अपने दम पर 90 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में न केवल स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, बल्कि सत्ता से वनवास समाप्त करना चाह रही कांग्रेस को पांच साल के लिए फिर सत्ता से दूर कर दिया।
हरियाणा में 60 सीटों का दावा कर रही कांग्रेस केवल 37 सीटों पर सिमट कर रह गई। दूसरी तरफ पिछले 20 साल से सत्ता से दूर चल रही इंडियन नेशनल लोकदल भी केवल दो सीट ही जीत पाई। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी तो खाता ही नहीं खोल पाई। इनके अलावा तीन निर्दलीय विधायक भी विधानसभा की दिल्ली तक पहुंचने में सफल रहे जो कि हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में अब तक सबसे कम आंकड़ा है। क्योंकि अबकी बार भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है और निर्दलीय विधायकों की संख्या भी बेहद ही कम है तो निर्दलीय विधायकों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं सिरे चढ़ पाना मुश्किल लग रहा है
विधानसभा आम चुनाव के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कि विधानसभा आम चुनाव में हिसार सीट से निर्दलीय के तौर निर्वाचित हुई सावित्री जिंदल हरियाणा विधानसभा के इतिहास में चौथी निर्दलीय महिला विधायक बनी है। यह भी बता दें कि उनके बेटे नवीन जिंदल भाजपा से सांसद है और टिकट नहीं मिलने पर सावित्री जिंदल ने बतौर निर्दलीय कैंडिडेट चुनाव में उतारने का फैसला किया और भाजपा उम्मीदवार और पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर रहे डॉ कमल गुप्ता को हराकर इसे जीतने में सफल भी रही। इससे पूर्व वर्ष 1982 में हरियाणा में आम चुनाव में बल्लभगढ़ हलके से शारदा रानी, वर्ष 1987 आम चुनाव में झज्जर सीट से कुमारी मेधवी और वर्ष 2005 विधानसभा चुनाव में बावल हलके से शकुंतला भगवाड़ीया ही निर्दलीय महिला विधायक रही हैं।
वर्ष 1967 और वर्ष 1982 में हुए हरियाणा विधानसभा के आम चुनावों में सर्वाधिक 16-16 निर्दलीय विधायक विजयी हुए थे जबकि वर्ष 1968 चुनावों में केवल 6 निर्दलीय विधायक जीत कर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे। वर्ष 1972 और 2000 विधानसभा आम चुनावों में 11-11 निर्दलीय विधायक चुने गए जबकि वर्ष 1977, 1987, 2009 और 2019 के विधानसभा आम चुनावों में 7-7 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1991 और 2014 के चुनावों में 5-5 निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे हालांकि वर्ष 1996 और 2005 के विधानसभा चुनावों में 10-10 निर्दलीय विधायक बने। इस प्रकार अबकी बार वर्ष 2024 में प्रदेश के 58 वर्ष के इतिहास में सबसे कम 3 निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए हैं जिसमें हिसार हलके से सावित्री जिंदल के अलावा गन्नौर सीट से देवेन्द्र कादयान और बहादुरगढ़ हलके से राजेश जून शामिल हैं।
वर्ष 1982, 2009 और 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में प्रदेश में नई सरकार के गठन में निर्दलीय विधायकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतकर विधायक बना व्यक्ति प्रदेश में बनी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकता है परंतु अगर वह औपचारिक रूप से सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी या फिर सदन में किसी विपक्षी पार्टी में भी शामिल हो जाता है, तो दल बदल विरोधी कानून में उस निर्दलीय विधायक की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है जैसे अब से बीस वर्ष पूर्व जून, 2004 में हरियाणा के 4 तत्कालीन निर्दलियों विधायकों- भीम सेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजिंदर बिसला और देव राज दीवान के कथित रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के कारण उन्हें तत्कालीन स्पीकर सतबीर कादयान द्वारा तत्कालीन विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2006 में सही ठहराया था।
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