Paddy Crop,(आज समाज),नई दिल्ली : खरीफ सीजन की बात करें तो कपास के बाद प्रमुख फसलों में से एक धान की रोपाई का काम जोरों से शुरू हो चुका है. धान की रोपाई से पहले मृदा का उपचार बेहद आवश्यक है, वरना दीमक और जड़ों में लगने वाले अन्य कीट पूरी फसल को चौपट कर देते हैं.
मृदा उपचार बेहद आवश्यक
इसी नुकसान से बचाव हेतु जानकारी देते हुए गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि किसान अगर उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान द्वारा तैयार किए गए फफूंदी जनित जैविक उत्पाद का इस्तेमाल करें तो फसल को बचाया जा सकता है.
डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि धान की फसल में लगातार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में धान की फसल की मिट्टी में मौजूद बहुत सारे कीट जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसीलिए जरूरी है कि धान की रोपाई से पहले मृदा उपचार कर लिया जाए ताकि धान की फसल को सुरक्षित रखा जा सके.
इस तरह करें दवा का इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि भूमिगत कीटों की रोकथाम के लिए खेत की अंतिम जुताई करते समय 5 किलोग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर डाल दें. खेत को जोतने के बाद पाटा लगाकर समतल कर दें. बाद में पानी भर खेत को तैयार कर धान की रोपाई कर दें.
डॉ. सुनील ने बताया कि एक किलो ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली की कीमत 168 रुपए निर्धारित की गई है, जिसे किसान उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान से आकर खरीद सकते हैं.