Third Front Indications in NITI Aayog Meeting: ममता कर सकती है कोई बड़ा खेला, इंडिया गठबंधन की एकजुटता की असल परीक्षा अब

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Third Front Indications in NITI Aayog Meeting ममता कर सकती है कोई बड़ा खेला, इंडिया गठबंधन की एकजुटता की असल परीक्षा अब
Third Front Indications in NITI Aayog Meeting : ममता कर सकती है कोई बड़ा खेला, इंडिया गठबंधन की एकजुटता की असल परीक्षा अब

There May Be Some Big Game In I.N.D.I.A Block, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: क्या फिर से कोई थर्ड फ्रंट बनेगा? राहुल गांधी के लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनने के बाद घट रही घटनाएं कुछ ऐसा ही संकेत दे रही हैं। आने वाले दिनों में इंडिया ब्लॉक में कोई बड़ा खेला हो सकता है। शनिवार को यहां हुई नीति आयोग की बैठक ने इसके संकेत दे दिए हैं।

पिछले कल सुनीता केजरीवाल की मुलाकात

इंडिया घटक दल के सबसे ताकतवर घटक दल टीएमसी नेत्री और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल हुई। हालांकि वे बैठक में कुछ ही देर रही और नहीं बोलने का आरोप लगा बैठक से निकल गई,लेकिन राजनीतिक संदेश दे कर चल गई। मतलब भाजपा और कांग्रेस दोनों से बराबर दूरी। इसके साथ शुक्रवार को ममता ने जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और उनके माता पिता से जिस तरह मुलाकात की उसके कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं।

ममता राहुल गांधी के नेतृत्व की कभी नहीं रही पक्षधर

आम आदमी पार्टी भले ही इंडिया गठबंधन में शामिल है, लेकिन राज्यों में वह कांग्रेस के खिलाफ है। ममता बनर्जी की राजनीति अगर देखें तो वह भी अपने राज्य में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ती हैं। दूसरी सबसे अहम बात राहुल गांधी के नेतृत्व के वह कभी भी पक्ष धर नहीं रही हैं। 18 वीं लोकसभा के गठन के बाद दो बार ऐसे मौके आ गए जब राहुल गांधी विपक्ष का नेता होने की ताकत दिखाई तो ममता बनर्जी ने उन्हें झटका दिया। पहला मौका लोकसभा के अध्यक्ष के चुनाव के समय हुआ। राहुल चाहते थे मत विभाजन हो।लेकिन टीएमसी नेत्री ने उसके उल्ट ध्वनि मत का फैसला किया।जो कांग्रेस को मानना पड़ा।

ममता नहीं चाहती थी कि स्पीकर पद को लेकर चुनाव हो

सूत्र बताते हैं ममता नहीं चाहती थी कि स्पीकर पद को लेकर चुनाव हो,लेकिन राहुल की जिद के चलते चुनाव हुआ।बाद में ममता ने कहा भी उनसे पूछे बिना फैसला कर लिया गया। और अब जब नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का मामला आया तो कांग्रेस ने बजट के एक दम बाद घोषणा कर दी उनके मुख्यमंत्री और सहयोगी दल के सीएम नीति आयोग की बैठक में नहीं जायेंगे।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल ने तो ममता बनर्जी को लेकर उम्मीद जताई थी कि वह बैठक में शामिल नहीं होंगी।लेकिन ममता बनर्जी बैठक में शामिल हुई।

बंगाल में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ती हैं ममता

दरअसल कांग्रेस 99 सीट आने के बाद सरकार और अपने घटक दलो के साथ इस तरह का व्यवहार कर रही है जैसे कि वह ही असल नेतृत्व करेगी। ममता कांग्रेस के व्यवहार और राहुल का नेतृत्व स्वीकार करती दिख नहीं रही हैं। उन्होंने बैठक में भाग लेने के समय भी यही बात कही कि उनसे पूछा नहीं गया और दूसरा बंगाल में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ती हैं।सीधा संदेश है कि उन्हें कोई अपने हिसाब से चला नहीं सकता है। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लोकसभा में 30 और राज्यसभा में 11 सदस्य हैं। पार्टी की ठीक ठाक हैसियत है।

दिल्ली में रहने के बाद भी सोनिया गांधी से नहीं मिली

गौर करने वाली बात यह है कि ममता बनर्जी दिल्ली में रहने के बाद भी कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी से नहीं मिली।एक तरह से सोनिया से दूरी बनाई हुई है। कांग्रेस के नेताओं को कम महत्व दे रही हैं।ममता कोई ना कोई राजनीतिक खिचड़ी बना रही हैं।ममता इस कोशिश में दिखती हैं कि गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों को एक जुट किया जाए।21 जुलाई को ममता ने इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दल सपा के नेता अखिलेश यादव को कोलकाता बुलाया।आम आदमी पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को साधा।

सपा, आप को साथ ले थर्ड फ्रंट बनवा चुनाव लड़वा सकती हैं ममता

अखिलेश भले ही अभी इंडिया गठबंधन में हैं, लेकिन वह जानते हैं कि राहुल जो राजनीति कर रहे हैं उससे उनका ही नुकसान होगा। उत्तर प्रदेश में आजाद पार्टी के चंद्रशेखर आजाद भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। यही नहीं तीन प्रमुख राज्यों हरियाणा,महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने हैं। समाजवादी पार्टी तीनों राज्यों में हिस्सा मांग रही है।कांग्रेस हिस्सा देगी लगता नहीं है। ऐसे में ममता बनर्जी तीनों राज्यों में सपा और आप को साथ ले तीसरा मोर्चा बनवा चुनाव लड़वा सकती हैं।आप ने तो हरियाणा में चुनाव की पूरी तैयारी कर ली है।

सुनीता केजरीवाल ने संभाल ली है कैंपेन की जिम्मेदारी

सीएम केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने खुद कैंपेन की जिम्मेदारी संभाल ली है। महाराष्ट्र में भी वह कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेगी।ये तीनों दल जानते हैं कि कांग्रेस अगर ताकतवर होगी तो उनकी ही चुनौतियां बढ़ेंगी।इन दलों के साथ जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर भी साथ आ सकती है।तीनों राज्यों में चुनाव की घोषणा के बाद फिर नए राजनीतिक समीकरण देखने को मिल सकते हैं।जिसमें बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अहम रोल निभाती हुई दिख सकती हैं।समाप्त