Third Day of Bhagwat Katha : वर्तमान भागवत कथा साक्षात श्रीहरि का स्वरूप : पं. राधे राधे महाराज

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Third Day of Bhagwat Katha
Third Day of Bhagwat Katha
Aaj Samaj (आज समाज),Third Day of Bhagwat Katha, पानीपत : प्रसिद्ध समाज सेवी स्वर्गीय सुनील वर्मा की 25 वीं पुण्यतिथि पर एवं मानव कल्याण व जनमानस कल्याण हेतु 11-12 सेक्टर हुडा में आयोजित सप्त दिवसीय भागवत कथा के तृतीय दिवस पर प्रसिद्ध कथा वाचक भागवत रसिक पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा कि कलयुग में भागवत कथा साक्षात श्रीहरि का स्वरूप है इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं, परंतु दुर्लभ मानव प्राणी को यह कथा सहित भी प्राप्त हो जाती है, क्योंकि यदि भगवान किसी से सब्र सर्वाधिक स्नेह करते हैं तो वह मानव रूपी अपने भक्तों को करते हैं। मानव जीवन तभी धन्य होता है, जब वह कथा स्मरण का लाभ प्राप्त कर लेता है।

श्रीमद् भागवत कथा का सिमरन अवश्य करना चाहिए  

पंडित राधे-राधे महाराज ने व्यास मंच पर भागवत कथा के प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का सिमरन अवश्य करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान यदि बनाना है, तो सत्संग का द्वार जरूर दिखाना पड़ेगा। आज के 21वीं सदी के भारत में हम सब पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करने में लगे हुए हैं और लगे भी क्यों ना इस भागदौड़ और फास्ट चल रही जिंदगी के अंदर केवल प्रतिस्पर्धा प्रतियोगिता प्रतियोगिता ही रह गई है। पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा सत्य आचरण का स्वरूप है, भागवत कथा है।

 

 

Third Day of Bhagwat Katha
Third Day of Bhagwat Katha

कितना जिए यह महत्वपूर्ण नहीं है, कैसे जिए यह महत्वपूर्ण होता है

राधे-राधे महाराज ने कहा मनुष्य लोगों को नहीं भोगता अपितु भोग ही मनुष्य को भोग लेता है। इस विषय पर सत्य को समझ लेता है, मानो वही ज्ञानी मनुष्य है। वही महात्मा है, वही संत है, वही सन्यासी है, वही भक्त हैं, वही सदाचारी, गुणकारी है। जो इस सत्य को समझ लेता है, वह कभी भी दुखी नहीं रहता। यद्यपि भगवान के द्वारा बनाई गई 8400000 योनियों में मनुष्य को तो कर्म के बौद्ध के अनुसार आना ही पड़ता है और 8400000 योनियों को भोगना ही पड़ता है। प्रश्न यह उठता है कि उन 84 लाख योनियों में आपकी योनी के अंदर रहकर समाज के लिए कुछ कर पाए। आप कितना जिए समाज में यह महत्वपूर्ण नहीं है आप कैसे जिए यह समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है।

मार्गदर्शन लेने के लिए सत्संग में जाएं

राधे-राधे महाराज ने कहा की भागवत कथा भगवान का सचित्र रूप है। यदि भगवान का आप साक्षात दर्शन करना चाहते हैं तो सबसे सरल सहज सुगम रास्ता केवल सत्संग एवं भागवत कथा है। दिव्य उपदेशों की चर्चा करने मात्र से ही पुण्य बढ़ता है। मार्गदर्शन केवल श्रीमद् भागवत कथा एवं सत्संग से ही प्राप्त हो सकता है. क्योंकि शास्त्रों के द्वारा दिया गया मार्गदर्शन संसार एक लोगों की अपेक्षा अति उत्तम है, क्योंकि सांसारिक व्यक्ति आपको यदि मार्गदर्शन देगा भी तो कहीं ना कहीं स्वार्थ से वशीभूत होकर ही देगा। तो क्यों ना हम सत्य की शरण में जाकर अपने जीवन को अच्छा कैसे बनाया जाए, इसका मार्गदर्शन लेने के लिए सत्संग में जाएं।

सेवा के अंदर स्वार्थ आ जाए तो वह सेवा निरर्थक मानी जाती है

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान इंद्रजीत, सुरेश, सचिन जताना, अशोक सलूजा, दिनेश नायक, सुनील चावला का स्वागत एवं सत्कार किया व्यास मंच पर विराजमान राधे-राधे महाराज ने एवं प्रधान विशाल वर्मा व वर्मा परिवार ने दयानन्द सरस्वती दाऊ जी महाराज अरुण दास महाराज निरंजन पाराशर व संतो महात्माओं को दोशाला, पगड़ी एवं पटका पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर दयानन्द सरस्वती महाराज कथा में पधारे। दयानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि धर्म की राह पर चलकर ही हम सेवा कर सकते हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं आज के वर्तमान समय में सेवा के अंदर ही स्वार्थ छिपा हुआ है। यदि सेवा के अंदर स्वार्थ आ जाए तो वह सेवा निरर्थक मानी जाती है।

पुरुषोत्तम मास अति पुनीत होता है

इस अवसर पर दाऊजी महाराज एवं अरूण दास महाराज पधारे। सर्वप्रथम दयानन्द सरस्वती महाराज एवं दाऊजी महाराज एवं अरुण दास महाराज व्यास पूजन किया। दयानंद सरस्वती महाराज ने कहा यदि कोई व्यक्ति सेवा का मार्ग अपनाता है तो उसका यह जन्म तो शुद्ध एवं अच्छा हो ही जाता है अपने पूर्व जन्म के सभी कर्मों को भी व शुद्ध कर लेता है। दयानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि पुरुषोत्तम मास अति पुनीत होता है। इस मास में किया गया पुण्य कार्य बड़ा कल्याणपद होता है। जीतना हो सके पुनीत कार्य करते रहना चाहिए। दान करना चाहिए।नाम जप तप करना चाहते है तो पुरुषोत्तम मास से अधिक उत्तम कोई नहीं हो सकता।

ये रहे मौजूद 

इस अवसर पर दयानंद सरस्वती महाराज एवं दाऊजी महाराज व अरुण दास महाराज ने दीप जलाकर आरती प्रारंभ की। इस अवसर पर विशाल वर्मा, श्रीराम वर्मा गोपाल कृष्ण सेठी, प्रधान इंद्रजीत अशोक सालूजा, निरंजन पाराशर, दिलीप गुप्ता, आश्वनि सहगल, प्रधान मुनीश सदाना, पं.बृजेश शास्त्री, अनिल वर्मा, प्रवीण वर्मा, नीना ग्रोवर, सीमा गुप्ता, स्वाति वर्मा, मंजू, अर्चना सोनी, संजय सोनी, दिनेश नायक, सुनील चावला, सुरेश बबेजा, सचिन जताना, मंच का संचालन वेद बांगा ने किया।