आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Things To Know Before Monsoon Knock: हमारे देश में बसंत, ग्रीष्म, शरद, वर्षा , हेमन्त, शिशिर अर्थात पतझड़) सभी ऋतू प्रभावित करती है। मानसून बरसाती मौसम भले ही एक ऋतु में गिना जाता है, पर हमारे देश की वैसे तो बसंत को ऋतुराज कहा जाता है गर्मी से त्रस्त धरती को जब मानसून के दौरान बारिश की रिमझिम फुहारों का वरदान मिलता है तो प्रकृति जैसे नया श्रृंगार कर लेती है।
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Things To Know Before Monsoon Knock: बारिश कम या ज्यादा हो, तो सर्दी का असर कम या ज्यादा हो जाता है। गर्मी की चाल भी उसी के समान आगे पीछे हो जाती है। सिर्फ ऋतुएँ ही नहीं, बल्कि देश की खेती, कारोबार और कई बार तो सरकारों का भविष्य भी मानसून की कृपा पर टिका होता है। मानसून के दौरान बारिश अच्छी होने पर पैदावार अच्छी होती है, तो फल-सब्जियों, दाल-अनाजों की कीमतें स्थिर रहती हैं। इसी तरह, उत्तराखंड में केदारनाथ, त्रासदी, जम्मू-कश्मीर की बाढ़, चेन्नई और मुम्बई जैसे शहरों के बेतहाशा बारिश में जलमग्न हो जाने की घटनाओं ने साबित किया है कि कैसे मानसून सीजन के दौरान ज्यादा बारिश भी मुसीबतों का सबब बन जाती है।.
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ऐसा होता है मानसून
साहित्य-गीत-संगीत-कला से बाहर विज्ञान की नजर में मानसून एक मौसमी या जलवायु से जुड़ी परिघटना है। इसी तरह मानसून चक्र धरती के तापमान, बर्फ से ढके क्षेत्रों से लेकर सतह के तापमान और समुद्री जल के ऊपर साल भर पड़ने वाली सूरज की गर्मी के कारण तापमान में होने वाले बदलाव का परिणाम है। इस पूरे भू-भाग में हवाएँ गर्म होकर ऊपर की ओर उठती हैं और बंगाल से कश्मीर तक, गंगा-यमुना के मैदानों से लेकर मध्य पश्चिमी व दक्षिणी भारत में निम्न दाब की स्थिति पैदा हो जाती है।
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भारतीय मानसून
भारत में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर से कर्क रेखा निकलती है इसलिये इसका देश की जलवायु पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस कारण हमारे देश की जलवायु उष्णकटिबन्धीय हो जाती है जो मुख्य रूप से दो प्रकार की हवाओं से प्रभावित होती है- 1. उत्तर-पूर्वी मानसूनी हवा और 2. दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवा।
Things To Know Before Monsoon Knock: ये मानसूनी हवाएँ हिन्द महासागर और अरब महासागर की तरफ से उठती हैं और हिमालय की तरफ से आने वाली ठंडी हवाओं से मिलती हैं। जून से सितम्बर के बीच चार महीनों में जब ये हवाएँ आपस में देश के दक्षिण-पश्चिमी तट पर पश्चिमी घाट (केरल के इलाके में) टकराती हैं तो पूरे देश और पड़ोसी मुल्कों में भारी वर्षा कराती हैं। यह है दक्षिण-पश्चिम मानसून और ज्यादातर वर्षा इसी के असर से होती है।
दक्षिण-पूर्वी मानसून (आता मानसून) : हर साल मई के अन्तिम पखवाड़े से जून के शुरुआती दिनों तक हिन्द महासागर की ओर से आने वाली हवाओं के कारण भारतीय भू-भाग में होने वाली वर्षा को दक्षिण-पूर्वी मानसून कहते हैं।
उत्तर-पश्चिमी मानसून ( लौटता मानसून) : इसी तरह अक्टूबर-नवम्बर के आस-पास बंगाल की खाड़ी की ओर से लौटती हुई उन हवाओं को उत्तर-पश्चिमी मानसून कहा जाता है जो तमिलनाडु से लेकर श्रीलंका और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तक वर्षा के लिये जिम्मेदार है।
कहाँ से आया मानसून
मानसून की बात करें तो इस अंग्रेजी शब्द की उपज पुर्तगाली भाषा के ‘मॉन्सैओ’ से हुई है। वैसे तो इसकी उत्पत्ति यानी उद्गम का एक अन्य स्रोत है अरबी भाषा का शब्द ‘मॉवसिम या मौसिम’, लेकिन इसका एक सिरा डच भाषा के शब्द – ‘मानसून’ से भी जोड़ा जाता है। जो जून से सितम्बर के बीच भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश में भारी वर्षा कराती हैं। भारतीय मानसून की अवधि 1 जून से 30 सितम्बर यानी चार महीने की होती है।
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