नई दिल्ली। एजीआर बकाए मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकार को खरी-खरी सुनाई। कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के मालिकों के लिए कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि इनके मालिक चाहते हैं तो उनको कोर्ट बुला कर यहीं से जेल भेज देंगे। सुप्रीम कोर्टसाफ कर दिया कि बकाया राशि का पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि यह सरासर अवमानना है..। किसने बकाया राशि के लिए पुनर्मूल्यांकन करने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि यह अवमानना का मामला बनता है, जो हो रहा है वो बेहद चौकाने वाला है। बकाया राशि के भुगतान का पुनर्मूल्यांकन को हमनें इजाजत नहीं दी फिर ये कैसे हुआ -“क्या हम मूर्ख हैं’। ये कोर्ट के सम्मान की बात है क्या? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को लगता है कि वो संसार में सबसे पॉवरफुल है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को कोर्ट के आदेश के मुताबिक भुगतान करना ही होगा। कंपनियों को ब्याज और जुमार्ना दोनों ही देना ही होगा। कोर्ट ने कहा कि वो टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान की समय सीमा देने की केंद्र की अर्जी पर अगली सुनवाई में तय करेगा। दो हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करे। उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों से स्पेक्ट्रम शुल्क और सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) के मद का 1.47 लाख करोड़ रुपये का सांविधिक बकाया 17 मार्च तक जमा करने को कहा है।