सीएम नायब सैनी ने विधानसभा में पेश किया हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक, 2025
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने खेलों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए है। इसकी शुरूआत हो चुकी है। सरकार ने गत दिवस विधानसभा में हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक, 2025 पेश कर दिया है। इसके के तहत अगर कोई मैच, स्पॉट फिक्सिंग करता पकड़ा गया तो उसे 3 से 5 साल तक की जेल हो सकती है।
इसके अलावा कम से कम 5 लाख रुपए के जुर्माने सहित कठोर दंड का भी विधेयक में प्रस्ताव किया गया है। बार-बार अपराध करने वालों के लिए, जेल की अवधि न्यूनतम पांच साल, जिसको सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा कम से कम 7 लाख रुपए के जुर्माने तक बढ़ जाएगी। इस विधेयक के पेश होने के बाद सरकार इसके बाद पुराने कानून को निरस्त करेगी। यह विधेयक अप्रचलित सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 का स्थान लेगा और इसमें जुआ गिरोहों से निपटने के प्रावधान शामिल हैं।
जुए से कमाई प्रॉपर्टी भी जब्त कर सकेगी सरकार
विधेयक में जुआ खेलने, जुआ गिरोहों में सदस्यता लेने और आम जुआ घर चलाने पर दंड लगाने के प्रावधान शामिल हैं। यह कार्यकारी मजिस्ट्रेट या राजपत्रित पुलिस अधिकारियों को बिना वारंट के तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी को अधिकृत करने का अधिकार देता है। इसके अतिरिक्त, जुआ अपराधों से प्राप्त कोई भी संपत्ति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 107 के तहत कुर्की या जब्ती के लिए जिम्मेदार होगा। विधेयक में कौशल के खेल और संभावना के खेल के बीच अंतर किया गया है, जिससे राज्य सरकार को किसी भी श्रेणी में आने वाले खेलों को अधिसूचित करने की अनुमति मिलती है।
अभी हरियाणा में मैच फिक्सिंग से निपटने के लिए विशेष प्रावधानों का अभाव
अभी हरियाणा में मैच फिक्सिंग से निपटने के लिए विशेष प्रावधानों का अभाव है। विधेयक मैच फिक्सिंग को खेलों में जानबूझकर किसी व्यक्ति या टीम को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए किया गया कोई भी कार्य या चूक के रूप में परिभाषित करता है, जिसमें ऐसे मामले भी शामिल हैं जहां खिलाड़ी वित्तीय लाभ के लिए खराब प्रदर्शन करते हैं, अंदरूनी जानकारी साझा करते हैं या विचार के लिए मैदान की स्थितियों में बदलाव करते हैं। इसमें खेलों के आयोजन में शामिल सभी व्यक्ति जैसे अधिकारी, कोच, रेफरी और ग्राउंड स्टाफ भी शामिल हैं।
जनता को धोखाधड़ी से बचाना सरकार का लक्ष्य
नए कानून का उद्देश्य सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 को निरस्त करना है, जिसे भारतीय विधि आयोग ने अपनी 249 वीं रिपोर्ट में अप्रचलित करार दिया था। इस विधेयक का उद्देश्य खेलों और चुनावों में सट्टेबाजी के साथ-साथ खेलों में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग को रोकना है ताकि जनता को धोखाधड़ी से बचाया जा सके।
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