गत दिवस पंचकूला व कुरुक्षेत्र में हुई सबसे अधिक बारिश, मंड़ियों में पड़ा धान भिगा
Kurukshetra News (आज सामज) कुरुक्षेत्र: प्रदेश में धान कटाई का सीजन जोरों पर है। बदलते मौसम ने फिर से किसानों की टेंशन बढ़ा दी है। मंड़ियां धान से भरी पड़ी है। मंडी में जगह न होने के कारण सड़कों पर भी किसानों ने धान के ढेÞर लगा रहे है। लेकिन खरीद न होने के कारण किसान परेशान है। गत दिवस हुई बारिश के कारण भी खुले आसमान के नीचे पड़ा सैंकड़ों क्विटल धान भीग गया। खराब मौसम के कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। वहीं मौसम विभाग ने आज फिर से हरियाणा के 13 जिलों में बादल छाए रहने व हल्की बूंदाबांदी की संभावना जताई है। जिन जिलों में बूंदाबांदी की संभावना जताई गई है उनमें पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, पानीपत, यमुनानगर, झज्जर, गुरुग्राम, रेवाड़ी, फरीदाबाद, पलवल और मेवात जिले शामिल हैं। वहीं गत दिवस हुई बारिश की बात करें तो कुरुक्षेत्र में सबसे ज्यादा 47 एमएम व पंचकूला में 40 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम में आए बदलाव से दिन के अधिकतम तापमान में गिरावट देखी गई।
सूबे में दिन के पारे में 3.2 की गिरावट आई है। हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन लाल खीचड़ ने बताया कि हरियाणा में अभी मानसून की 2 दिन वापसी नहीं होगी। 29 सितंबर तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहने की संभावना है। इस दौरान मानसून हवाओं की सक्रियता बढ़ने की संभावना है, जिसके चलते प्रदेश के अधिकांश जिलों में रुक-रुक कर तेज हवाएं चलने तथा गरज के साथ छींटे पड़ने के साथ कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। इससे दिन के तापमान में हल्की गिरावट व वातावरण में नमी की मात्रा में वृद्धि होने की भी संभावना है।
वातावरण में नमी की मात्रा में गिरावट आने की संभावना
मानसून ट्रफ सामान्य स्थिति से दक्षिण की तरफ जाने तथा नमी वाली हवाओं में कमी आने से 29 सितंबर तक मानसून की सक्रियता में कमी से राज्य में ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम खुश्क रहेगा। हालांकि उत्तरी जिलों पंचकूला, पूर्वी यमुनानगर, अंबाला, उत्तरी कुरुक्षेत्र, कैथल, उत्तरी जींद, उत्तरी फतेहाबाद, उत्तरी सिरसा में कुछ एक स्थानों पर छिटपुट बूंदाबांदी की संभावना है। इस दौरान हवा उत्तर पश्चिमी रहने से दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही वातावरण में नमी की मात्रा में गिरावट आने की संभावना है।
धान की फसल को सबसे अधिक नुकसान
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में इस समय बारिश होना किसानों के लिए नुकसानदायक है। क्योंकि धान कटाई का सीजन शुरू हो गया है। अधिकतर धान मंडियों में पड़ा है। वहीं खेत में खड़ी धान की फलल भी बारिश होने के कारण खराब हो जाएगी। इसके अलावा आलू व गाजर की बिजाई जिन किसानों ने कर दी है। उनकों भी बारिश का नुकसान है।
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