नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान ने भाषा का बवाल खड़ा कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि देश की साझी भाषा के तौर पर हिंदी को अपनाना चाहिए। विशेषतौर पर दक्षिण के कई राजनेताओं ने इसका विरोध किया है। नेताओं के बासद अब अभिनेता से नेता बने कमल हसन भी इस जंग में शामिल हो गए हैं। कमल हासन ने एक वीडियो के माध्यम से भाषा आंदोलन की बात कही। उन्होंने वीडियो अपलोड कर कहा कि एक और भाषा आंदोलन होगा, जो तमिलनाडु में जल्लीकट्टू विरोध प्रदर्शनों की तुलना में बहुत बड़ा होगा। इस वीडियो में कमल हासन अशोक स्तंभ और संविधान की प्रस्तावना के बगल में खड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत 1950 में लोगों से एक वादा करने के साथ गणतंत्र बन गया कि उनकी भाषा और संस्कृति की रक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोई भी शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक उस वादे को नहीं तोड़ सकते। हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं लेकिन हमारी मातृ भाषा हमेशा तमिल रहेगी। जल्लीकट्टू सिर्फ एक विरोध था। हमारी भाषा की लड़ाई इससे कहीं बड़ी होगी।