लुधियाना/चंडीगढ़। दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण पैदा हुई गंभीर स्थिति पर गंभीर होते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसके स्थाई समाधान की मांग की। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह राष्टÑीय राजधानी में प्रदूषण के जारी किए गए बेहद खराब आंकड़े उन सहित किसी भी जिम्मेदार नागरिक को कोई सुकून नहीं देते। मुख्यमंत्री ने कहा कि कड़वी सच्चाई यह है कि हम बड़ी ही आसानी से इस सबकी जिम्मेदारी एक-दूसरे के कंधों पर डाल देते हैं जबकि दिल्ली के लोग दुर्दशा सह रहे हैं और यह देश में संभावित तौर पर विश्व के इतिहास में सबसे खराब स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे कि हम सभी लोगों के दुख और तकलीफ को घटाने का यत्न कर रहे हैं परंतु हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समस्या की जड़ यह है कि हम इसके स्थाई हल के लिए राजनीतिक भिन्नताओं से ऊपर उठकर चलने से लगातार भाग रहे हैं। हमारे द्वारा जिनको कि हम समस्या के हिस्सेदार भी कह सकते हैं, समय-समय पर किया जाता प्रयास भी देरी से उठाए गए कदमों से अधिक कुछ नहीं होता।
पराली जलाने से रोकने के हर संभव प्रयास किए
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब ने पराली जलाने के विरुद्ध कानून को जहां तक संभव हुआ, लागू करने की कोशिश की और यहां तक कि किसानों को जुर्माना भी किया। उन्होंने कहा, कि हालांकि यह उनके जमीर के विरुद्ध है कि उस भाईचारे को सजा दे रहे हैं जो अधन्यवादी देश के हाथों दुख सह उठा हो और अब भी सह रहा हो। किसानों को धान की पराली जलाने से रोकने के लिए हम उनकी दयनीय हालत को और हाशिये पर नहीं ले जा सकते।
दिल्ली और हरियाणा अपने स्तर पर कर रहे प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा अपने स्तर पर जो कुछ कर सकते हैं, वह कर रहे हैं परंतु इस समूचे मामले में केंद्र सरकार की भूमिका संदिग्ध है, चाहे कि राष्ट्रीय खुशहाली में सबसे बड़ी हिस्सेदार भी केंद्र सरकार ही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आगे लिखा कि उनको आशा थी कि भारत सरकार इस गंभीर समस्या का व्यापक हल तलाशने के लिए बहुत समय पहले ही यह मसला अपने हाथों में लेगी परंतु दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट द्वारा तेजी से खराब हुई स्थिति पर चिंता जाहिर करने के बाद भी आज तक इसके प्रति कोई कदम नहीं उठाया गया।
केंद्र सरकार ने नहीं मानी बात
मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि उन्होंने अलग-अलग मौकों पर प्रधान मंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का सुझाव भी निजी तौर पर दिया था जिससे किसानों को पराली के निपटारे के लिए सुविधा मुहैया करवाई जा सके। उन्होंने कहा, कि ऐसा लगता है कि सरकार इसको सही हल नहीं समझती जिस कारण उनके सुझाव पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी गई ।
सीएम ने प्रधानमंत्री से समस्या का हल पूछा
मुख्यमंत्री ने साथ ही पूछा कि फिर बताओ, वह कौन सा हल है जिससे इस समस्या को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आगे कहा, कि प्रधान मंत्री जी, क्या यह आपकी सरकार का काम नहीं कि पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत सभी साझेदारों के साथ परामर्श करके इसका स्थायी हल तलाशा जाए। केंद्र के तत्काल दखल की जरूरत पर जोर देते हुए आखिर में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जो कोई भी निजी राजनीतिक लालसा है, वह इन हालातों से ऊपर नहीं हो सकती।
पराली जलाने से रोकने के हर संभव प्रयास किए
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब ने पराली जलाने के विरुद्ध कानून को जहां तक संभव हुआ, लागू करने की कोशिश की और यहां तक कि किसानों को जुर्माना भी किया। उन्होंने कहा, कि हालांकि यह उनके जमीर के विरुद्ध है कि उस भाईचारे को सजा दे रहे हैं जो अधन्यवादी देश के हाथों दुख सह उठा हो और अब भी सह रहा हो। किसानों को धान की पराली जलाने से रोकने के लिए हम उनकी दयनीय हालत को और हाशिये पर नहीं ले जा सकते।
दिल्ली और हरियाणा अपने स्तर पर कर रहे प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा अपने स्तर पर जो कुछ कर सकते हैं, वह कर रहे हैं परंतु इस समूचे मामले में केंद्र सरकार की भूमिका संदिग्ध है, चाहे कि राष्ट्रीय खुशहाली में सबसे बड़ी हिस्सेदार भी केंद्र सरकार ही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आगे लिखा कि उनको आशा थी कि भारत सरकार इस गंभीर समस्या का व्यापक हल तलाशने के लिए बहुत समय पहले ही यह मसला अपने हाथों में लेगी परंतु दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट द्वारा तेजी से खराब हुई स्थिति पर चिंता जाहिर करने के बाद भी आज तक इसके प्रति कोई कदम नहीं उठाया गया।
केंद्र सरकार ने नहीं मानी बात
मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि उन्होंने अलग-अलग मौकों पर प्रधान मंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने का सुझाव भी निजी तौर पर दिया था जिससे किसानों को पराली के निपटारे के लिए सुविधा मुहैया करवाई जा सके। उन्होंने कहा, कि ऐसा लगता है कि सरकार इसको सही हल नहीं समझती जिस कारण उनके सुझाव पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी गई ।
सीएम ने प्रधानमंत्री से समस्या का हल पूछा
मुख्यमंत्री ने साथ ही पूछा कि फिर बताओ, वह कौन सा हल है जिससे इस समस्या को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आगे कहा, कि प्रधान मंत्री जी, क्या यह आपकी सरकार का काम नहीं कि पंजाब, दिल्ली और हरियाणा समेत सभी साझेदारों के साथ परामर्श करके इसका स्थायी हल तलाशा जाए। केंद्र के तत्काल दखल की जरूरत पर जोर देते हुए आखिर में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी जो कोई भी निजी राजनीतिक लालसा है, वह इन हालातों से ऊपर नहीं हो सकती।