जैन मुनि सागर
प्रेम, मानवता, दया और करुणा का संदेश लेकर जैन मुनि विशुद्ध सागर महाराज प्रयागराज पहुंचे। 24 जैन मुनियों के दल के साथ आए जैन मुनि ने जीरो रोड स्थित जैन मंदिर में कहा कि अगर हम अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहते हैं तो हमको पापकर्मों, लोभ-लालच से मुक्त होना पड़ेगा। देश के कई राज्यों से होकर कानपुर से कौशाम्बी होते हुए जैन मुनि विशुद्ध सागर ने सुबह नौ बजे शहर में प्रवेश किया। इस दौरान जैन मंदिर पहुंचने पर दिगंबर जैन पंचायती सभा की ओर से उनका भव्य स्वागत किया गया। रास्ते में जगह-जगह जैन मतावलंबियों ने उनकी आरती उतारी और आशीर्वाद लिया। इसके बाद जैन मुनि के पांव पखारे गए।
उनके साथ संघ में शामिल युवा जैन मुनियों का भी स्वागत किया गया। अखिल जैन, राकेश जैन ने शास्त्र भेंट किया। इसके बाद जैन महिला मंड की बाला जैन, चारु जैन ने मंगलाचरण कर प्रवचन का शुभारंभ किया। जैन मुनि विशुद्ध सागर ने प्रयागराज की महिमा का बखान किया। उन्होंने बताया कि जैन तीर्थंकर ऋषभदेव मुनि ने इसी धरा पर दीक्षा ली थी। वटवृक्ष के नीचे उन्होंने कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था। उन्होंने कहा कि मन, वाणी और कर्म से पवित्र होने के उद्देश्य से हम परमात्मा के दर्शन करना चाहते हैं। मौजूदा समय समाज में चौतरफा शांति का अभाव है। इसकी वजह मायामोह है। इससे बचना चाहिए।