आयुर्वेद के पुरातन ज्ञान के संरक्षण की जरूरतः राज्यपाल
Himachal News(आज समाज) शिमला। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि विभिन्न रोगों का उपचार में आयुर्वेद को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वे नई दिल्ली में भारतीय धरोहर के आठवें वार्षिक सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और इसका संरक्षण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे समृद्ध मूल्यों और विश्वासों ने देश को ‘मां’ का दर्जा प्रदान किया है। आयुर्वेद के पुरातन ज्ञान के संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि ‘प्रकृति परीक्षण’ की अवधारणा पर गहराई के साथ शोध होना चाहिए जोकि शरीर के विभिन्न रोगों का निदान करने पर केंद्रित है। उन्होंने
हमें विरासत पर गर्व करना चाहिए
उन्होंने कहा कि विदेशों के बुद्धिजीवियों जैसे मैक्स मूलर ने हमारे वेदों का अध्ययन किया और उनके ज्ञान की प्रशंसा की है। इसलिए हमें न सिर्फ हमारी विरासत पर गर्व करना चाहिए बल्कि युवाओं और बच्चों को इसके बारे में जागरूक भी करना चाहिए। भारत देश संतो की भूमि है जहां लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति होती हैं। उन्होंने प्राचीन ज्ञान के संरक्षण और समाज सेवा के लिए भारतीय धरोहर की समर्पित सेवाओं की तारीफ की। राज्यपाल ने भारतीय धरोहर की वार्षिक पत्रिका का विमोचन भी किया।
समारोह की अध्यक्षता कर रहीं राज्यसभा सांसद संगीता यादव ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत किए। भारतीय धरोहर के महामंत्री विजय शंकर तिवारी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और संगठन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से अवगत करवाया। इस अवसर पर भारतीय धरोहर के अध्यक्ष रमेश कपूर और सदस्यों ने समारोह में भाग लिया।