सारी दुनिया हो जाएगी आपकी मुरीद, सिर्फ करना होगा ये काम: चाणक्य

0
449
chanakya
chanakya

जीने की कला सीखनी है तो चाणक्य की नीतियां काफी व्यवहारिक हैं। चाणक्य ने जीवन के हर एक पहलू से संबंधित कई तरह की बातें बतायी हैं जिनका पालन करके आप अपनी लाइफ को बेहतर बना सकते हैं। जहाँ चाणक्य समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री थे वहीं एक योग्य शिक्षक भी थे।

जानिए चाणक्य नीति:
सभी नीतिग्रंथों से इतर चाणक्य नीति हमें जीवन जीने की कला सिखाती है। यहाँ आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ (चाणक्य नीति) में जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से निपटने के लिए कई उपाये बताएं हैं। इनका अनुसरण करके आप सभी सुखी और सफल जीवन व्यतीत सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं चाणक्य की नीतियों के बदौलत ही चंद्रगुप्त मौर्य मगध के सम्राट बन पाए थे। यहां हम इसी चाणक्य नीति से दुनिया को अपने वश में करने के बारे में बताएंगे

यदीच्छसि वशीकर्तुं जगदेकेन कर्मणा।
परापवादसस्येभ्य: गां चरन्तीं निवारय॥

जैसा कि इस श्लोक में बताया जा चुका है कि यदि आप इस पूरे जगत को अपने वश में करना चाहते हैं या अपना मुरीद बनाना चाहते हैं तो सिर्फ अपनी एक बुरी आदत का आपको त्याग करना पड़ेगा, और वो आदत है- बुराई करने की आदत।
अगर आप इस आदत का त्याग कर देते हैं तो अवश्य सभी आपको पसंद करेंगे जोकि आपको आपके जीवन की ऊचाइयों तक ले जाएगी। चाणक्य नीति में चाणक्य ने कहा है कि यदि आप संसार को अपने वश में करना चाहते हैं तो इसका एक यही उपाय है कि अपनी जुबान से कभी किसी की बुराई न करें। जब कभी आपकी जीभ ऐसा करने की सोचे तो उसे रोक लेना उचित है और यही वशीकरण करने सबसे बढ़कर उपाय है।

तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलश्चैव वासरा:।
यावत्सर्वं जनानन्ददायिनी वान प्रवर्तते।।

वहीं चाणक्य ने इस श्लोक में वाणी के महत्व को बताया है किया जिस प्रकार कोयल जब तक वसंत नहीं आ जाता चुप रहती है। वसंत आने पर ही अपनी मधुर आवाज से सबका मन मोहती है। उसी प्रकार मनुष्य को भी हमेशा मीठा ही बोलना चाहिए, अगर मीठा नहीं बोल सकते तो चुप रहने में ही उसकी भलाई है।
लुब्धमर्थेन गृह्णीयात स्तब्धमंजलिकर्मणा।
मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम।।

एक और बात आचार्य चाणक्य की आपको जननी चाहिए। इस श्लोक में उन्होंने बताया है कि किसी लालची व्यक्ति को पैसा देकर वश में किया जा सकता है लेकिन किसी विद्वान और समझदार व्यक्ति को वश में करना है तो उसके सामने केवल सच ही बोलना चाहिए। किसी मूर्ख को अपने वश में करना हो तो वह जैसा-जैसा बोलता हैं, हमें ठीक वैसा ही करना चाहिए। झूठी प्रशंसा से मूर्ख व्यक्ति प्रसन्न होते हैं। घमंडी और अभिमानी लोगों को हाथ जोड़कर या उन्हें उचित मान-सम्मान देकर अपने वश में किया जा सकता है।