कोरोना काल में देश के एक लाख से अधिक बच्चों के सिर से उठा मां-बाप का साया

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आज समाज डिजिटल

कोरोना महामारी ने अधिकांश देशों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसने अमीर-गरीब किसी को नहीं बख्सा है। इस महामारी ने लोगों की पूरी जिंदगी बदल कर रख दिया है। कोरोना काल में जहां करोड़ों लोग बेरोजगार हुए तो वहीं लाखों लोग असमय दुनिया से चले गए और तो और लाखों बच्चों के सिर से तो मां-बाप का साया भी छिन गया। देश में महामारी की तबाही में लाखों जिंदगियां बर्बाद हुई हैं और इसका सबसे अधिक असर उन बच्चों पर पड़ा है, जिनके मां-बाप इस महामारी के शिकार हुए हैं। कोरोना महामारी के कारण भारत समेत 21 देशों में करीब 15 लाख बच्चों के सिर से मां-बाप या फिर उनकी देखभाल करने वालों का साया उठ गया है। मशहूर जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, 21 देशों में 15 लाख से अधिक बच्चों ने कोरोना महामारी के पहले 14 महीनों के दौरान कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता या फिर अपनी देखभाल करने वालों का साथ खो दिया है। इनमें से 1 लाख 19 हजार बच्चे भारत के हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट आफ ड्रग एब्यूज (एनआईडीए) और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ (एनआईएच) द्वारा की गई स्टडी में कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस के कारण 25,500 बच्चों ने अपनी मां को खो दिया, जबकि 90,751 ने अपने पिता को खो दिया। इनमें से 12 बच्चों की संख्या ऐसी है, जिन्होंने अपने मां-बाप दोनों को खो दिया। इस स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि महामारी के कारण 1,134,000 बच्चों ने अपने मां-बाप या संरक्षक दादा-दादी को खो दिया। इनमें से 10,42,000 बच्चों ने अपने मां, पिता या दोनों को खो दिया। हालांकि, अधिकांश ने माता-पिता दोनों नहीं खोया है, बल्कि कोई एक ही खोया है। एक मीडिया विज्ञप्ति में एनआईएच द्वारा कहा गया कि कुल मिलाकर 1,562,000 बच्चों ने कम से कम एक माता-पिता या संरक्षक या दादा-दादी (या अन्य पुराने रिश्तेदार) की मृत्यु का अनुभव किया है।

इसमें यह भी कहा गया है कि प्राथमिक देखभाल करने वालों (माता-पिता या संरक्षक दादा-दादी) को खोने वाले बच्चों की सबसे अधिक संख्या वाले देशों में दक्षिण अफ्रीका, पेरू, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, ब्राजील और मैक्सिको शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2,898 भारतीय बच्चों ने अपने कस्टोडियल दादा-दादी में से किसी एक को खो दिया, जबकि 9 बच्चों ने अपने दादा-दादी दोनों को खो दिया। हालांकि, भारत में प्रति 1,000 बच्चों पर माता-पिता और संरक्षक पैरेंट के मरने की दर 0.5 है जो दक्षिण अफ्रीका (6.4), पेरू (14.1), ब्राजील (3.5), कोलंबिया (3.4), मैक्सिको (5.1) रूस (2.0), और यूएस (1.8) जैसे अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।