Haryana News: विवेक जोशी की चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति से हरियाणा के मुख्य सचिव का पद हुआ रिक्त

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Haryana News: विवेक जोशी की चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति से हरियाणा के मुख्य सचिव का पद हुआ रिक्त
Haryana News: विवेक जोशी की चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति से हरियाणा के मुख्य सचिव का पद हुआ रिक्त

विवेक जोशी की नवंबर हुई थी हरियाणा के मुख्य सचिव के पद पर नियुक्ति
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्य सचिव का पद खाली हो गया है। पद के खाली होने की वजह हरियाणा के मुख्य सचिव की चुनाव आयोग में आयुक्त के पद पर नियुक्ति होना है। डॉ. विवेक जोशी को निर्वाचन आयोग में तीसरा चुनाव आयुक्त बनाया गया है। जोशी ने बीते चार नवंबर को ही मुख्य सचिव का पद संभाला था। उनके जाने के बाद राज्य का अगला मुख्य सचिव कौन होगा, अफसरशाही में इसकी चर्चा शुरू हो गई है।

टीवीएसएन प्रसाद की सेवानिवृत्ति के बाद जोशी की हुई थी नियुक्ति

पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद की सेवानिवृत्ति और डा़ॅ जोशी की नियुक्ति से पहले जब मुख्य सचिव का पद खाली था जो सरकार ने चार दिन के लिए एफसीआर अनुराग रस्तोगी को मुख्य सचिव नियुक्त किया था। ऐसे में सरकार ने उन्हें फिर से मुख्य सचिव बना सकती है। हालांकि वह सिर्फ चार महीने के लिए ही मुख्य सचिव बन पाएंगे, क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति 30 जून को है।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव का पद संभाल चुके जोशी

केंद्र ने 1989 बैच के आईएएस डा़ विवेक जोशी को 26 अक्तूबर को केंद्र से वापस उनके मूल काडर में वापस भेजा था। वह तीन महीने 14 दिन ही मुख्य सचिव की कुर्सी पर बैठ पाए। जब उन्हें केंद्र से हरियाणा भेजा था तो उस समय वह केंद्र में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। केंद्रीय वित्त मंत्रालय में सचिव का पद संभाल चुके डॉ़ जोशी पहले हरियाणा में भी तैनात रहे हैं। वह हरियाणा सरकार में निगरानी और समन्वय के प्रमुख सचिव, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण के सीईओ के रूप में काम कर चुके हैं।

यह अधिकारी मुख्य सचिव की दौड़ में

सरकार यदि रस्तोगी को मुख्य सचिव नहीं बनाती है तो सुमिता मिश्रा सरकार की पहली पसंद हो सकती हैं। 90 बैच की सुमिता मिश्रा का रिटायरमेंट 2027 में है। उनके पास पूरे दो साल हैं। 90 बैच के सुधीर राजपाल भी है, जो आईएएस की वरिष्ठता में डा़ विवेक जोशी के बाद आते हैं। सीनियर होने के बावजूद सरकार ने उन्हें न तो एफसीआर की कुर्सी पर बैठाया और न ही गृह सचिव की कुर्सी में। ऐसे में उनके नाम पर सहमति बनने में थोड़ी कठिनाई बन सकती है।

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