सुशासन के लिए आवश्यक है कि प्रशासन उचित तरीके से काम करे। जिसकी जो जिम्मेदारी है वह पूरी तरह से निभाए। लेकिन हाल की घटनाओं से यही देखने को मिला है कि पुलिस की विश्वसनीयता घटी है और अपराधियों के हौंसले बुलंद हुए हैं। एक के बाद एक घटनाएं पुलिस की विश्वसनीतया कम होने की तसदीक करती हैं। एक पत्रकार को गाजियाबाद में गोली मारी गई। पत्रकार पहले बुरी तरह से पीटा गया फिर उसके सिर पर गोली मारी गई। जिसके बाद उसकी मौत हुई। इसी प्रकार एक अन्य घटना गुड़गांव की सामने आती है जिसमें रंगदारी न देने पर एक व्यक्ति को गोलाी मारी गई। ग्वालियर की भी एक घटना में एक युवती को गोली मारी गई। यूपी में इंसाफ की मांग करने वाली महिला ने अपनी आवाज न सुने जानेपर आत्मदाह करने के लिए खुद को आग लगाई, बाद में उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। हापुड़ में भी लूटपाट केबाद एक व्यक्ति को मौत केघाट उतार दिया गया। इन सबसे उपर विकास दुबे जिसका एनकाउंटर हाल ही में पुलिस ने किया, जिसका साम्राज्य इतना बड़ा हो गया था कि उसके साथ सफेदपोश लोगों और पुलिस के भी अधिकारियों के मिले होने की बात छन-छन कर सामने आ रही है। यहां तक कि देश की सेवा में लगे सैनिकों का परिवार भी सुरक्षा और इंसाफ के लिए भटक रहा है। सीम पर तैनात जवान के पिता को कुछ दबंगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी और जवान इंसाफ की दुहाई देते हुए इधर उधर भटक रहा है। यहां तक कि उसने इंसाफ न मिलनेपर आत्मदाह करने तक बात कह डाली है। इन सबसे इतर भी बुहत सारी घटनाओं ने हाल ही में दिल दहला दिया है। आम आदमी किस प्रकार खुद को असुरक्षित और असहाय समझ रहा है, किस प्रकार पुलिस प्रशासन कमजोर और निर्बल दिखाई दे रहा है यह सभी घटनाएं इसी का प्रमाण दे रही है।