कायाकल्प वाले शहर की कल्प रही काया

0
458
GARBEJ IN BARNALA-2
GARBEJ IN BARNALA-2

बरनाला। (अखिलेश बंसल) 13 मई को बरनाला में सफाई सेवकों द्वारा शुरू की गई हड़ताल के 50 दिन पूरे होने को है, शहर की हर गली हर चौराहे पर गंदगी के अंबार लग चुके हैं। जहां से पैदल या दोपहिया वाहन पर निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है। गंदगी के ढेर पर पहुंचते बेसहारा गोवंश बीमार हो रहे हैं। नगर परिषद बरनाला द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष वादा करने के बावजूद गंदगी हटाने का कोई प्रबंध नहीं किया जा रहा। जिसको लेकर शहर के एक समाजसेवी ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च-न्यायालय चंडीगढ़ और देश की सर्वोच्य न्यायालय को पत्र लिखे हैं, साथ ही शहर में गंदगी के हालातों से संबंधित चित्र शामिल किए हैं। इसके अलावा हड़ताल पर चले आ रहे सफाई सेवकों की मांगों को भी विशेष तौर पर शामिल किया है, जिसमें बताया है कि ठेका आधारित सफाई सेवकों को काम करते कई साल हो गए हैं, लेकिन उन्हें पक्के नहीं करने, खाली सीटों पर सफाई सेवकों की भर्ती नहीं करने, स्पेशल भत्ता नहीं देने जैसी लंबित मांगों से सफाई कर्मी परेशान चले आ रहे हैं।

नप कर चुका कायाकल्प करने का दावा
नगर परिषद द्वारा शहर का कायाकल्प दिखाने के नाम पर हर बार फजीर्वाड़ा किया जाता रहा है। भारत स्वच्छ अभियान के अंतर्गत पहुंचती टीमों को नप अधिकारी कैसा भ्रमित करते हैं , वह बंद कमरा बैठक होने के कारण बातें सार्वजनिक नहीं होती। संबंधित विभाग किस आधार पर बरनाला जैसे परिषदों को कायाकल्प होने का अवार्ड प्रदान करता है कहना समझ से बाहर है। बता दें कि शहर में कायाकल्प के नाम पर निर्माणित किए गए अधिकांश शौचालय बंद रहते हैं। जो मोबाइल शौचालय बरनाला में पहुंचे वह भी एक कोने में छिपाकर रखे हुए हैं

तीन साल पहले की थी यह वीडियो वायरल
नगर परिषद बरनाला के अधिकारियों की ओर से 17 अप्रैल 2018 को सोशल मीडिया का सहारा लेते फेसबुक पर 2 मिनट 17 सेकंड का वीडियो वायरल किया था जिसमें बताया गया था कि शहर को 10 मिनट में कैसे स्वच्छ बनाया जा सकता है। इस वीडियो के लेखक प्रोड्यूसर व निदेशक रोहित जैल हैं, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर विशाली जैल और एडिटर अंतरिक्ष श्रीवास्तव है। वीडियो की डबिंग ऐ.के. स्टूडियो पूना में हुई थी। नगर परिषद बरनाला के फेसबुक पेज पर अपलोड होते ही हजारों व्यूवर और सैंकड़ों यूजर्स ने शेयर किया था। उसके साथ ही काफी लोग ऐसे भी थे जिन्होंने वीडियो को हकीकत से दूर बताया था

सफाई करने का वक्त आया तो लगेंगे सैंकड़ों घंटे
आलम यह है कि शहर के हर कोने पर इतनी गंदगी पसर चुकी है जिसे उठाने में सफाई कर्मचारियों को भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। कारण 25 फीसद गंदगी सडकों में बुरी तरह से चिपक गई है। आम लोग भी समझने लगे हैं कि गंदगी उठाने वाले भी तो इंसान हैं, यदि सरकार उनकी मांगे पूरी कर लें तो इसमें हर्ज ही क्या है।

सुनाम के पार्षद से नहीं सीखा सबक
जिला संगरूर के सुनाम के वार्ड नंबर 14 के पार्षद ने गत दिनों अपने बेटे सहित खुद वार्ड की गंदगी उठाई थी। इस घटना की सुनाम के किसी समाजसेवी ने वीडियो वायरल कर दी थी। बता देते हैं कि यह स्वच्छता का मुद्दा भारत के राष्ट्रपति कार्यालय तक पहुंचा। लेकिन हैरानी इस बात की प्रदेशभर के पार्षदों ने सुनाम के पार्षद की वीडियो देखने के बावजूद उसे खुद करने को नजरअंदाज कर दिया है।

पार्षद भी आ सकते हैं सकते में
कहा जा रहा है कि यदि आने वाले कुछ दिनों के भीतर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो लोग अपने घरों की गंदगी सड़कों के किनारे फेंकने की जगह अपने वार्डों के पार्षदों के घर के सामने फेंकना शुरू कर देंगे। क्योंकि उन्होंने चुनाव जीतने से पहले अपने चुनावी एजेंडे में मतदाताओं से यह वादा किया हुआ है कि वार्ड की हर समस्या का समाधान करने के लिए वे वचनबद्ध होंगे।