आज समाज डिजिटल, अम्बाला
The Parrot Neither Eats Nor Drinks : एक बहेलीये को तोते में दिलचस्पी थी। वह उन्हें पकडता, सिखाता व तोते के शौकीन लोगों को अच्छे दामों में बेच देता था। एक दिन उसके हाथ बहुत ही सुन्दर तोता लगा। उसने उस तोते को अच्छी-अच्छी बातें सिखार्इं।
The Parrot Neither Eats Nor Drinks : एक दिन तोते को लेकर अकबर के दरबार में पहुंच गया। दरबार में बहेलिये ने तोते से पूछा कि बताओ यह दरबार किसका है? तोता बोला कि जहांपनाह अकबर का दरबार है। सुनकर अकबर बड़ा ही खुश हुए। वह बहेलिये से बोले कि हमें यह तोता चाहिए बोलो इसकी क्या कीमत मांगते हो।
बहेलीया बोला जहाँपनाह कि सब कुछ आपका है आप जो दें वही मुझे मंजूर है। अकबर को जवाब पसंद आया और उन्होंने बहेलिये को अच्छी कीमत देकर उससे तोते को खरीद लिया।
तोते के रहने के लिये खास इंतजाम किए
महाराजा अकबर ने तोते के रहने के लिये खास इंतजाम किए। उन्होंने उस तोते को सुरक्षा के बीच रखा और रखवालों को हिदायत दी कि इस तोते को कुछ नहीं होना चाहिए।
The Parrot Neither Eats Nor Drinks : यदि किसी ने भी मुझे इसकी मौत की खबर दी तो उसे फांसी पर लटका दिया जाएाा। उस तोते का पूरा ख्याल रखा जाने लगा, मगर विडंबना देखिए कि वह तोता कुछ ही दिनों बाद मर गया। अब उसकी सूचना महाराज को कौन दे?
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रखवाले परेशान थे, तभी उन्में से एक बोला कि बीरबल हमारी मदद कर सकता है। बीरबल को सारा वृतांत सुनाया तथा उससे मदद मांगी।
खुदा के लिए कुछ तो कहो
बीरबल ने कुछ सोचा और रखवाले से बोला कि ठीक है तुम घर जाओ महाराज को सूचना मैं दूंगा। बीरबल अगले दिन दरबार में पहुंचे। अकबर से कहा कि हुजूर आपका तोता, अकबर ने पूछा हां-हां, क्या हुआ मेरे तोते को?
बीरबल ने डरते-डरते कहा कि आपका तोता जहाँपनाह, हां-हां बोलो बीरबल क्या हुआ तोते को?”
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महाराज आपका तोता बीरबल बोला।
अरे खुदा के लिए कुछ तो कहो बीरबल मेरे तोते को क्या हुआ, अकबर ने खीजते हुए कहा।
जहांपनाह, आपका तोता न तो कुछ खाता है, न कुछ पीता है, न कुछ बोलता है, न अपने पंख फडफडाता है, न आँखे खोलता है और न ही, राज ने गुस्से में कहा कि अरे सीधा-सीधा क्यों नहीं बोलते की वो मर गया है।
बीरबल तपाक से बोला कि हुजूर मैंने मौत की खबर नहीं दी बल्कि ऐसा आपने कहा है, मेरी जान बख्शी जाए और महाराज निरूत्तर हो गए।
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