देश का इकलौता मंदिर जहां होती है शहीदों की पूजा

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प्रभजीत सिंह (लक्की), यमुनानगर । गांव गुमथला राव की पहचान निराली है। यहां बने इंकलाब मंदिर में हर दिन भगवान की तरह शहीदों की पूजा होती है। वर्ष-2001 में बने मंदिर में शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरु, शहीद ऊधम सिंह, शहीद लाला लाजपत राय और भारत माता की प्रतिमाएं स्थापित हैं। शहीद चंद्रशेखर आजाद, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, दुर्गा भाभी, और अस्फाक उल्ला खां की प्रतिमाएं तैयार हो चुकी हैं। इनको स्थापित किया जाएगा। मंदिर में 150 से अधिक शहीदों के हाथ से बने पोर्टेट हैं। इनका इतिहास भी उपलब्ध है। न केवल विशेष अवसर बल्कि हर दिन सुबह-शाम नियमित रूप से शहीदों को पूजा जाता है। अब शहीदों के सम्मान के लिए इंकलाब आयोग के गठन की यहां से मांग उठ रही है। एडवोकेट वरयाम सिंह बताते है कि बचपन से मन में शहीदों के प्रति सम्मान है।

स्कूल में पढ़ते समय से ही शहीदों पर आधारित कविताएं लिखने व उनके बारे में पढ़ने का शौक रहा है। मन में विचार आया कि जिन अमर शहीदों ने देश को आजादी दिलवाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, क्यों न उनके सम्मान में कुछ अलग किया गया। पांच दिसंबर 2001 को स्कूल में शहीद भगत सिंह पहली प्रतिमा स्थापित की थी। उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। इंकलाब मंदिर बना दिया। अब एक एकड़ जमीन और बिल्डिंग सरकार तैयार करा रही है। सुबह शाम पूजा दिन में जन्मदिवस मनाया जाता है : सुबह शाम शहीदों की पूजा होती। आए दिन अमर शहीदों को जन्मदिवस व शहीदी दिवस मनाया जाता है। शहीदों की बहादुरी व शौर्य की गाथा भावी पीढ़ी को सुनाई जाती है। क्षेत्र के स्कूलों के बच्चे नियमित आते हैं, ताकि उनमें देशभक्ति का जज्बा बढ़े। भगत सिंह के सिक्के व थानों में प्रतिमा भी लगवाई : लंबी लड़ाई के बाद शहीद भगत सिंह की फोटो वाले सिक्के 27 सितंबर 2007 में शहीद भगत सिंह के गांव खटखटा कलां से जारी हुए।

23 मार्च को शहीदी दिवस पर सरकारी अवकाश घोषित करवाया। मंदिर संस्थापक कि मांग पर ही 29 जुलाई 2010 पूर्व डीजीपी रंजीव दलाल ने राज्य के पुलिस अधिकारी कार्यालयों, थाने व चौकियों में शहीद भगत सिंह की फोटो लगाने के आदेश दिए। मंत्री अनिल विज ने सभी सरकारी कार्यालयों में शहीदों की प्रतिमा लगाने की सिफारिश कर चुके हैं। खेल मंत्री संदीप सिंह राज्य के सरकारी कैलेंडर में इंकलाब मंदिर का चित्र लगाने के लिए कह चुके हैं। यहां आते हैं शहीदों के वंशज : 1857 की क्रांति का बिगुल बजाने वाले शहीद मंगल सिंह पांडेय के पांचवीं पीढ़ी के वंशज देवी दयाल पांडेय वंशज वर्तमान में रादौर में रहते हैं। इंकलाब मंदिर में आते रहते हैं। उनके मुताबिक यहां पर साकारात्मक ऊर्जा है। युवाओं के लिए संदेश देते हैं कि शहीदों की सच्ची सेवा व श्रद्धांजलि यही है कि सभी को राष्ट्रहित के लिए ईमानदारी से कार्य करने चाहिए। इसके अलावा शहीद उधम सिंह के वंशज खुशीनंद भी यहां आ चुके हैं। मंदिर में शहीदों के प्रति सम्मान को देख वह रो पड़े थे।