डॉ.श्रीकृष्ण शर्मा
नईदिल्ली। भारत में खेल माहौल बना हुआ है। टोक्यो ओलंपिक खेलों की सफलता का असर हर क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। सभी स्तरों पर खेलों को बढावा देने का काम होता नजर आ रहा है। शतरंज से भी अच्छी खबर आई। लम्बे समय से शतरंज की दो संघोें के बीच चला आ रहा आंतरिक विवाद शतरंज के खेल और खिलाड़ियों के हित में समाप्त कर लिया गया है। अखिल भारतीय शतरंज महासंघ और भारतीय शतरंज संघ के एक साथ आ जाने के बाद अब देश में शतरंज खेल का संचालन अखित भारतीय शतरंज महासंघ करेगी। शतरंज में अपनी दक्षता दिखाने वाले खिलाड़ी महासंघ के अध्यक्ष डॉ.संजय कपूर और महासचिव भरत सिंह चैहान की विशेष तौर पर सराहना कर रहे हैं। महासंघ जो व्यापक योजना बना रही है उनमें कहा जा रहा है कि शतरंज लीग,अकादमी और स्कूली स्तर पर शतरंज का बढावा देने पर विशेष बल दिया जा रहा है। कोरोना महामारी के खात्में के बाद यह काम जमीनी स्तर पर रफ्तार लेता नजर आएगा। अखिल भारतीय शतरंज महासंघ की योजनाओ पर पूछने पर महासंघ के कोषाध्यक्ष नरेश शर्मा कहा कि शतरंज के करीब दो हजार ट्रेनर्स तैयार किए गए हैं। जो देश के कोने कोने में स्कूली बच्चों को चेस की बेसिक नॉलिज देंगे। इससे खेल की लोकप्रियता भी बढेगी और बच्चों को खेल से जोड़ने मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश में शतरंज को बढावा देने के लिए लीग भी शुरू करने पर भी विचार चल रहा रहा है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते कार्य गति नहीं पकड पा रहा है। यह केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि राज्य की शतरंज की सभी संघ के भी एक साथ आ जाने से देश की शतरंज में जो बाधाएं आ रही थी वे हट जाएंगी। जिनका सीधा लाभ देश के शतरंज के खिलाड़ियों को मिलेगा। शतरंज से जुड़े लोगों का मानना है कि अब महासंघ का देश की शतरंज की बेहतरी के लिए काम संभव हो सकेगा। जिसकी करीब एक दशक से जरूरत महसूस हो रही थी। शतरंज एक ब्रेन गेम है। शतरंज खेल का लक्ष्य शह और मात होता है। दुनिया को शतरंज खेल भारत की ही देन मानी जाती है। दो खिलाड़ियों के बीच खेले जाना वाला यह शतरंज मनोरंजक खेल भी होने की वजह से इसमें कोरोना काल में भागीदारी और भी बढी है। जिसका असर शैक्षणिक संस्थानों को खुलने के बाद साफ देखने को मिलेगा।
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