6.5 प्रतिशत की दर से इस वित्त वर्ष में बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था : सर्वे

Indian Economy Growth (आज समाज), बिजनेस डेस्क : एक तरफ जहां विश्व के कई प्रमुख देश वर्तमान समय में अमेरिका द्वारा जारी की गई नई टैरिफ दरों के प्रभाव से उभरने के प्रयास में जुटे हुए हैं। वहीं भारतीय अर्थ व्यवस्था सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ने को तैयार है। यह बात अलग-अलग सर्वे में सामने आ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के बारे में जानकारी देते हुए ईवाई इकोनॉमी वॉच ने अपनी रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में भारत की इकॉनोमी आने वाले वित्त वर्ष (2025-26) में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया

रिपोर्ट में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च बढ़ाने पर जोर दिया गया है। संतुलित राजकोषीय रणनीति को मतदीर्घकालिक विकास संभावनाओं को काफी बढ़ा सकती है। ईवाई इकोनॉमी वॉच के मार्च संस्करण में कहा गया कि वित्त वर्ष 25 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया। जबकि नए वित्तीय वर्ष में 6.5 प्रतिशत से वृद्धि का अनुमान है।

राजकोषीय घाटा कर सकता है विकास दर को प्रभावित

रिपोर्ट में कहा गया कि संशोधित अनुमानों के अनुसार सरकार का राजकोषीय घाटा अनुदान की पूरक मांग से प्रभावित हो सकता है। बढ़ती आबादी और विकसित आर्थिक संरचना के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में अतिरिक्त निवेश दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने और मानव पूंजी परिणामों में सुधार करने के लिए आवश्यक हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि अगले दो दशकों में भारत को अपने सामान्य सरकारी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यय को धीरे-धीरे बढ़ाने की आवश्यकता होगी। जिससे यह उच्च आय वाले देशों के करीब आ जाएगा।

शिक्षा पर खर्च बढ़ाने की जरूरत

भारत की युवा आबादी और बढ़ती कार्यबल आवश्यकताओं को देखते हुए सरकार को शिक्षा पर खर्च को वित्त वर्ष 2048 तक जीडीपी के मौजूदा 4.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करने की जरूरत होगी। जबकि स्वास्थ्य सेवा पहुंच और परिणाम के लिए सरकारी स्वास्थ्य व्यय को वित्त वर्ष 2048 तक जीडीपी के 3.8 प्रतिशत तक बढ़ाना होगी। इसके लिए अधिक युवा आबादी वाले कम आय वाले राज्यों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की जरूरतों को पूरा करने के लिए समान हस्तांतरण के माध्यम से अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है।

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