चेन्नई। भले ही मोदी सरकार हिंदी को तवज्ज्ज्ञो देने की बात कहती रही हो लेकिन वहींतमिलनाडु के एमडीएमके के जनरल सेक्रेटरी और सांसद वाइको ने हिंदी को लेकर एक विवादित बयान दे दिया है। वह यह मानते हैं कि संसद में हिंदी के इस्तेमाल से स्तर गिरा है। हिंदी में दिए जाने वालेभाषणों की वजह से संसद में बहस का स्तर गिर गया है। एक अंग्रेजी अखबर को दिए इंटरव्यू में वाइको ने कहा कि संसद में हिंदी में दिए जाने वाले भाषणों की वजह से सदन में बहस का स्तर गिर गया है। पहले संसद में विभिन्न विषयों पर गहरी जानकारी रखने वालों को भेजा जाता था। आज डिबेट का स्तर हिंदी की वजह से गिर गया है। वे बस हिंदी में चिल्लाते हैं। इस मौके पर वाइको ने पीएम नरेंद्रमोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सदन में पीएम मोदी भी हिंदी मेंभाषण देते हैं। वाइको ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू एक महान लोकतंत्रवादी थे और वो शायद ही कभी संसद का सत्र मिस किए हो, लेकिन मोदी कभी कदा ही संसद सत्र में हिस्सा लेते हैं। वाइको ने नेहरू और मोदी की तुलना करते हुए कहा कि वो पहाड़ थे तो मोदी उसका एक हिस्सा हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि हिंदी में कौन सा साहित्य है? इसकी कोई जड़ नहीं है और संस्कृत एक मृत भाषा है।
उन्होंने अन्ना का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि 8वीं अनुसूची में सभी भारतीय भाषाओं को आधिकारिक भाषा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सभी भाषाओं को आधिकारिक भाषा बनाया जा सकता है तो अंग्रेजी को भी जगह दी जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंगेजी तो सभी के लिए सामान्य होनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने और कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।