नई दिल्ली। उन्नाव रेप पीड़िता को लगातार जान से मारने की धमकी दी जा रही थी। उसे लगातार मारने की या उसके परिवार और उसके सफाया करने की धमकी दी जा रही थी। इस संदर्भ में पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को भी पत्र लिखा था। पत्र में पीड़िता ने साफ लिखा था कि उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो उसे और उसके परिवार को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने सेक्रेटरी जनरल से रिपोर्ट मांगी है कि उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के चीफ जस्टिस के नाम पत्र को उसके समक्ष क्यों पेश नहीं किया गया। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि दुर्भाग्यवश पत्र अभी तक सामने नहीं आया है और समाचार पत्रों ने ऐसे समाचार प्रकाशित किए हैं कि जैसे मैंने पत्र पढ़ लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले पर उत्तर प्रदेश प्राधिकारियों से स्थिति रिपोर्ट मांगी और इसे गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। सीजेआई रंजन गोगोई ने बुधवार को सक्रेटरी जनरल से यह बताने के लिए कहा कि इससे पहले पत्र देने में देरी क्यों हुई। सीजेआई का कहना है, ‘इस विनाशकारी माहौल में कुछ रचनात्मक करने की कोशिश की जाएगी।’ सुप्रीम कोर्ट ने जनरल सेक्रेटरी से पूछा कि वह बताएं कि उन्नाव बलात्कार पीड़िता द्वारा भेजे गए पत्र (12 जुलाई को) को अदालत के सामने क्यों नहीं रखा गया। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट भी मांगी गई।