The impact of the protest against UW: Brij Bhushan Sharan Singh: यूडब्लूडब्लू से किये विरोध का हुआ असर : बृजभूषण शरण सिंह

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आस्ताना। बजरंग पूनिया के साथ कांस्य पदक के मुकाबले में हुई नाइंसाफी की शिकायत के बाद यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के अध्यक्ष नेनाद लालोविच ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को भरोसा दिलाया था कि तेजी से आगे बढ़ते भारतीय पहलवानों की कुश्ती पर नजर रखने के निर्देश उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इस वर्ल्ड चैम्पियनशिप में दे दिये थे, जिसका आगे के मुकाबलों में काफी असर देखा गया।
इस बारे में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि बजरंग की कुश्ती में मेजबान देश के पहलवान को फायदा पहुंचाया गया। सबने देखा कि कजाक पहलवान ने एक मौके पर बजरंग की कास्ट्यूम को पकड़ा और वह कुछेक मौकों पर कुश्ती से दूर भी भाग रहा था, जिससे उसके खिलाफ कॉशन अंक दिये जाने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की शिकायत यूडब्ल्यूडब्ल्यू को करते हुए उन्होंने साफ कर दिया था कि भारत में 130 करोड़ की आबादी में तकरीबन 80 फीसदी जनता या तो कुश्ती से जुड़ी हुई है या फिर उसमें रुचि लेती है। हमारे दो तीन पदक जीतने से इतनी बड़ी आबादी कुश्ती में और ज्यादा रुचि लेने लगी है। अगर हमारे पहलवानों के साथ ऐसी नाइंसाफी होगी तो देश में लोग कुश्ती से दूर हो जाएंगे जबकि हमारा सबका उद्देश्य कुश्ती का विस्तार करना है।
कुश्ती संघ के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि कुश्ती से जुड़े बहुत से देशों की आबादी को मिला दिया जाये तो वह भारत की आबादी के बराबर बनती है। उन्होंने कहा कि इन सब बातों का असर यह हुआ कि लालोविच ने तकनीकी समिति को निर्देश दिया कि भारतीय पहलवानों की कुश्तियों पर खास तौर पर ध्यान दिया जाये। यही वजह है कि इसके बाद हुई दीपक पूनिया की कुश्ती में एक फैसले को चुनौती देने पर हमारे साथ न्याय हुआ।
बृजभूषण सिंह ने कहा कि बजरंग कजाक पहलवान पर अंक पर अंक बना रहा था। उसके खिलाफ चार अंक की तकनीक लगने पर हमारे कोचों ने वही गलती की जो पिछली वर्ल्ड चैम्पियनशिप में की थी। उस फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज करने का नतीजा यह हुआ कि कजाक पहलवान को आराम करने का मौका मिल गया। यदि ऐसा न हुआ होता तो उसमें पूरे छह मिनट बजरंग के सामने टिकने का स्टेमिना नहीं बचा था। इसके अलावा हमने इस प्रोटेस्ट से एक अंक भी गंवाया।
बृजभूषण शरण सिंह का यह भी कहना है कि भारतीय कुश्ती इस समय सही ट्रैक पर चल रही है। मैं अपने पहलवानों के प्रदर्शन से खुश हूं। इसके बावजूद जिन क्षेत्रों में अभी कमियां हैं, उन्हें दूर किया जाएगा। हम मुकाबलों के दौरान कम से कम ए-1 श्रेणी के रेफरी को भी मैट के आस-पास बिठाएंगे। किसी प्रोटेस्ट के लिए पहलवान की सहमति के अलावा कोच इन रेफिरियों की तकनीकी बारीकियों का भी फायदा उठाएंगे। रेफरी के ओके करने पर ही कोच प्रोटेस्ट का फैसला लेंगे।
पिछले ओलिम्पिक में हमें कुश्ती में एक और कुल दो पदक हासिल हुए थे। आप देख लेना कि अगले ओलिम्पिक में हमें चार पदक कुश्ती से हासिल होंगे। उन्होंने पहलवानों के परिवार, उनसे संबंधित सभी कोचों और टीम के सपोर्ट स्टाफ के प्रति भी आभार व्यक्त किया। उन्होंने सरकार के प्रति भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी जी खेलों में व्यक्तिगत रूप से रुचि लेते हैं। उनका खेलों पर नजर बनाये रखना, लगातार ट्वीट करना हमारे मनोबल को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि भारत में खेलों के लिए जितनी सुविधाएं आज दी जा रही हैं, उतनी ज्यादातर देशों में नहीं दी जा रहीं। हमें सरकार का पूरा सहयोग है।
हमारे पहलवानों की धीमी शुरुआत के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज हमारे पहलवान विपक्षी को थकाकर खूब अंक बटोर रहे हैं। जिस दिन हमने शुरू में अंक गंवाने की प्रवृति पर निजात पा ली तो तब हमें दुनिया का कोई पहलवान हरा नहीं सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत का मौसम भी हमारे पहलवानों को रफ-टफ बनाता है। यहां गौरतलब है कि बृजभूषण शरण सिंह के सात साल के अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान भारत को वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 12 पदक हासिल हो चुके हैं। यह संख्या इससे पहले तकरीबन 50 साल में मिले पदकों की संख्या के दुगने से भी अधिक है।

मनोज जोशी