सुप्रीम कोट्र ने आज लाठी को ग्रामीण की पहचान बताया और इसे हत्या का हथियार मानने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्टनेएक मामले मेंअपना यह बात कही। उच्चतम न्यायाल नेयह टिप्पणी करते हुए हत्या (धारा 302) का एक मामला गैर इरादतन हत्या (धारा 304 भाग दो) में बदल दिया। यहां तक कि इस मामले में आरोपी के जेल में 14 साल र हने को सजा मानते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ नेहत्या के मामले में यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में हत्या की एक धारा को गैर इरादतन हत्या की धारा में बदल दिया। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी के जेल में रहने की अवधि को सजा मानते हुए उसे तुरंत रिहा करने का आदेश भी दिया। मामला छत्तीसगढ़ का था जिसमें सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में कहा कि गांव के लोग लाठी लेकर चलते हैं, जो उनकी पहचान है। यह तथ्य है कि लाठी को हमले के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसे सामान्य तौर पर हमला करने या हमले का हथियार नहीं माना जा सकता। बता दें कि छत्तीसगढ़ के आरोपी जुगत राम ने भूमि विवाद में एक व्यक्ति के सिर पर लाठी से हमला किया था, हमले की वजह से पीड़ित की दो दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद साल 2004 में आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पुलिस ने धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया और फिर सेशन कोर्ट ने जुगत राम को उम्रकैद की सजा सुना दी थी।