नई दिल्ली। उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता अपने केस की सुनवाई के लिए घर से अकेले ही कोर्ट जाने के लिए स्टेशन की ओर जा रही थी। उसी दौरान आरोपी ने उसे जलाकर मारने की कोशिश की। पीड़िता अकेले ही अपने आरोपियों के खिलाफ लड़ रही थी। जब आरोपी ने उसे जिंदा जला दिया तब भी वह लगभग एक किलोमीटर पैदल दौड़ती रही। मदद की गुहार लगाती रही, चिल्लाती रही। यहां तक कि अंत में जब वह गिर पड़ी तभी उसी ने गांव वालों को पुलिस को बुलाने को कहा। उसकी हालत गंभीर होते देख कर उसे दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में एयर लिफ्ट किया गया था लेकिन शुक्रवार की रात 11.40 बजे सफदरजंग अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। वह लगभग 90 फीसदी जल चुकी थी इसलिए उसकी हालक नाजुक हो गई थी। उसे एयरलिफ्ट कर लखनऊ से दिल्ली लाया गया था। पीड़िता का भाई अंतिम समय तक पीड़िता के साथ रहा।
उसने कहा कि दुखी होते हुए कि, मैं अपनी बहन को नहीं बचा पाया। अब मैं सरकार और पुलिस से मांग करता हूं कि मेरी बहन इस दुनिया में नहीं है तो आरोपी को भी मौत मिलनी चाहिए। भाई ने बताया कि बहन को हमने वादा किया था कि उसे बचा लेंगे पर नहीं बचा पाए। हम आरोपी को भी सजा दिलवाकर रहेंगे। जब भाई से पीड़िता के अंतिम संस्कार के बारे में पूछा गया तो वह बोले कि अपनी बहन के शव को न गंगा में बहाएंगे, न ही आग के हवाले करेंगे, उसे धरती मैया की गोद में दफनाएंगे। वह इतनी बुरी हालत में होने के बावजूद जीन चाहती थी अपने आरोपियों को सजा दिलाना चाहती थी। उसने डाक्टरों से पूछा कि वह बच पायगी ना। सफदरजंग अस्पताल के एचओडी डॉ. शलभ कुमार ने बताया कि रात करीब साढ़े आठ बजे वेंटीलेटर पर हरकत हुई और पीड़िता का ब्लड प्रेशर गिरने लगा। डॉक्टरों ने एक साथ दवाओं की डोज शुरू की साथ ही उसके हाथ पैरों को मलना शुरू किया। इससे रात 9.25 बजे ब्लड प्रेशर थोड़ा ठीक हुआ, लेकिन 11.10 पर फिर से हालत बिगड़ी, आनन फानन में डॉक्टरों की टीम ने उसे दो इंजेक्शन दिए लेकिन 11.30 कार्डियक अटैक आने से उसकी धड़कनोें की गति कम होने लगी और ब्लड प्रेशर भी कम होता गया। इसके बाद 11. 40 मिनट पर पीड़िता को मृत घोषित कर दिया गया।