कानपुर। देश में एक ओर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। सीएए और एनआरसी को लेकर कानपुर में माहौल खराब हुआ और वहां हिंसा देखने को मिली थी। वहीं दूसरी ओर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिली। बकरगंज में एक मुस्लिम परिवार की 25 वर्षीय बेटी की शादी होनी थी। परिवार उम्मीदों के साथ बारात की राह देख रहा था। लेकिन 21 दिसंबर की सुबह प्रतापगढ़ के हुसैन फारुखी ने फोन कर बारात लाने में असमर्थता जताई क्योंकि हिंसा के कारण कानपुर के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था। शहर में डर और हिंसा का माहौल था। प्रदर्शनों में दो लोगों की मौत हो चुकी थी। जीनत की शादी को टालने के बारे में परिवार में विचार होने लगा लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। जीनत के चाचा वाजिद फैजल भी इस बारे में विचार-विमर्श कर रहे थे।
तभी यह खबर उनके पड़ोसी विमल कापड़िया को लगी। उन्होंने इसके लिए कुछ करने का मन बनाया। विमल अपने दो मित्रों सोमनाथ तिवारी और नीरज तिवारी के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने हुसैन से बात की और उसे बारात लाने को कहा। उसे आश्वासन दिया कि वह स्वयं उसकी सुरक्षा करेंगे। शाम को सत्तर लोगों की बारात कानपुर पहुंची और विमल कापड़िया ने पचास लोगों के साथ मिल कर मानव श्रृंख्ला बनाई और बरात को लगभग एक किलोमीटर दूर निश्चत स्थान तक मानव श्रृंख्ला के बीच में सुरक्षित रूप से पहुंचाया। जब तक शादी और विदाई सही सलामत संपन्न नहीं हो गई तब तक विमल कापड़िया और उनके दोस्त पूरी मुस्तैदी से वहां डटे रहे। जीनत ने भी शादी के बाद अपने परिवार में आने के बाद सबसे पहले विमल भईया से मुलाकात की और कहा कि वह एक फरिश्ते की तरह उनके जीवन में आए। यह शादी उनके बिना संभव नहीं हो पाती। जीनत ने विमल कापड़िया को तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।