हरियाणा रोडवेज पानीपत डिपो के चालक- परिचालक ने बचाई क्रिकेटर ऋषभ पंत की जान

0
321
The driver-Conductor of Haryana Roadways Panipat Depot saved the life of cricketer Rishabh Pant
The driver-Conductor of Haryana Roadways Panipat Depot saved the life of cricketer Rishabh Pant

आज समाज डिजिटल, पानीपत :

पानीपत। क्रिकेटर ऋषभ पंत को एक्सीडेंट के बाद बचाने में मदद करने वाले हरियाणा रोडवेज के बस चालक सुशील और परिचालक परमजीत नैन पानीपत डिपो में कार्यरत हैं। इन दोनों ने ही ऋषभ पंत को जलती कार से दूर कर पुलिस को सूचना दी थी। दोनों ने ही ऋषभ पंत के रुपयों को समेटकर उन्हें सौंपा था। जिस वक्त ऋषभ पंत की कार का एक्सीडेंट हुआ, उस वक्त हरियाणा रोडवेज पानीपत डिपो की बस हरिद्वार से पानीपत की तरफ आ रही थी।

एक्सीडेंट के बाद कार में आग लग गई

हादसे को देखते ही रोडवेज बस से ड्राइवर सुशील और परिचालक परमजीत नीचे उतरे और ऋषभ पंत की मदद की। पानीपत डिपो के जीएम कुलदीप जांगड़ा ने इस काम के लिए दोनों को सम्मानित  किया। ऋषभ पंत की बीएमडब्ल्यू कार का हादसा उस समय हुआ, जब वो दिल्ली से अपने घर रुड़की आ रहे थे। रुड़की के नारसन बॉर्डर पर संतुलन बिगड़ने से उनकी कार डिवाइडर से जा टकराई। इस हादसे में ऋषभ पंत बुरी तरह घायल हो गए। ऋषभ पंत कार का शीशा तोड़कर बाहर निकले। जिसके बाद कार में भयंकर आग लग गई।

ऋषभ पंत के माथे और पैर में चोट आई है

इस दौरान हरियाणा रोडवेज की बस वहां से गुजर रही थी। जिसके चालक और परिचालक ने ऋषभ पंत को कार से दूर किया और पुलिस को फोन कर इसकी जानकारी दी। फिलहाल ऋषभ को देहरादून रेफर किया गया है। वहां उनकी प्‍लास्टिक सर्जरी की जाएगी। डॉक्टर्स के मुताबिक ऋषभ पंत के माथे और पैर में चोट आई है। सूचना पाकर पुलिस अधीक्षक देहात स्वप्न किशोर सिंह मौके पर पहुंच गए। सक्षम हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर सुशील नागर ने बताया कि फिलहाल ऋषभ पंत की हालत स्थिर बनी हुई है। बताया जा रहा है कि उनकी प्‍लास्टिक सर्जरी की जाएगी।

पूरा मामला ड्राइवर सुशील की जुबानी :

हम हरिद्वार से आ रहे थे, मैं हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर हूं। हम 4.25 मिनट पर हरिद्वार से चले थे, जैसे ही हम नारसन के पास पहुंचे 200 मीटर पहले मैंने देखा दिल्‍ली की तरफ से एक कार 60-70 की स्‍पीड में आई। वो डिवाइडर से टकराकर पलटती हुई हरिद्वार साइड में आ गई। मैंने सोचा अब तो ये हमारी बस से टकराएगी और हमें कोई बचा नहीं सकता। हम मरेंगे. मेरे पास 50 मीटर का फासला था तभी मैंने सर्विस लेन से निकालकर फर्स्‍ट लाइन में बस डाल दी।
वो गाड़ी दूसरी लाइन में निकल गई, गाड़ी के शीशे टूट गए थे, मैंने तुरंत ब्रेक लगाए और खिड़की से कूदकर भागा। मैंने देखा वो व्‍यक्ति कार से आधा बाहर था। मैंने उसका हाथ पकड़ रखा था, तभी कंडक्‍टर भी साथ आ गया, हमने उसे बाहर लिटा दिया। हमें लगा उसकी मौत हो चुकी है। मैंने देखा कार में आग लगनी शुरू हो गई थी, मैं कार की तरफ गया और देखने लगा कि कोई और तो नहीं है।

कंडक्‍टर ने कहा कि ये भारतीय क्रिकेटर है

मैंने उनसे पूछा भाई साहब कार के अंदर कोई और भी व्‍यक्ति है क्‍या? उन्‍होंने कहा कि मैं अकेला ही था, बाद में उन्‍होंने बताया कि मैं ऋषभ पंत हूं, क्‍योंकि मैं क्रिकेट का शौकीन नहीं हूं तो ज्‍यादा जानता नहीं, लेकिन कंडक्‍टर ने कहा कि ये भारतीय क्रिकेटर है। हमने उसे साइड में डिवाइडर पर लिटाया। उसके तन पर कपड़े नहीं थे। हमने अपने एक यात्री से लेकर उसे चादर दी, उन्‍होंने बाद में कहा कि मेरे पैसे हैं कार में, हमने आसपास रोड पर जितने भी पैसे बिखरे थे उन्‍हें सात-आठ हजार रुपये इकट्ठा करके उनके हाथ में दे दिए। तब वो एंबुलेंस में बैठे थे, कंडक्‍टर ने एंबुलेंस को फोन कर दिया था, मैंने पुलिस को और नेशनल हाईवे को फोन किया था. नेशनल हाईवे से कोई जवाब नहीं आया। एंबुलेंस आ गई थी 15 मिनट बाद उसके पूरे चेहरे पर खून था। हड़बड़ाए हुए थे, कमर छिली हुई थी। पैर से लंगड़ा रहे थे।