सर्वे में आया सामने, 81 प्रतिशत भारतीय जरूरत से कम आंकते हैं जीवन बीमे की अहमियत

Life Insurance in India (आज समाज), बिजनेस डेस्क : जीवन बीमा हर व्यक्ति के जीवन का एक अहम और अमूल्य हिस्सा होता है। एक तरफ जहां जीवन बीमा कंपनियां लोगों को जीवन बीमे की अहमियत समझाती हैं वहीं सरकार भी लोगों को अपने सुरक्षित भविष्य के लिए जीवन बीमा लेने के लिए उत्साहित करती हैं। लेकिन पिछली अवधि में जीवन बीमे संबंधी करवाए गए सर्वे में हैरानीजनक तथ्य सामने आए हैं। दरअसल 81 प्रतिशत भारतीय लोग जीवन बीमा की अहमियत को पूरी तरह से नहीं समझते और वे इसे अपने जीवन में कम करके आंकते हैं।

यह आया सर्वे में सामने

सर्वे में जो बात सामने आई है उसके अनुसार लोगों का मानना है कि उनकी वार्षिक आय के 10 गुना से कम जीवन बीमा कवरेज वित्तीय सुरक्षा के लिए पर्याप्त है। हालांकि वास्तव में कवरेज के आंकड़े कुछ ओर बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में औसतन जीवन कवर वार्षिक आय 3.1 गुना था, जो बड़े पैमाने पर समृद्ध परिवारों के लिए 2.9 गुना तक गिर गया है।

भारत में युवा बड़े पैमाने पर जीवन बीमा करवा रहे हैं। इससे पहली बार जीवन बीमा खरीदने वालों की औसत आयु 33 वर्ष से घटकर 28 वर्ष हो गई है। हालांकि इसके बावजूद बहुत से लोग अब भी अपर्याप्त राशि का बीमा करवाते हैं। उनका कवरेज उनकी वार्षिक आय के कम से कम 10 गुना के आदर्श स्तर से भी काफी कम है।

वित्तीय तैयारी के लिए प्रर्याप्त नहीं है बीमा

पारिवारिक जिम्मेदारियां आय का स्तर और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बीमा अपनाने के लिए प्रमुख कारक बनकर उभरी हैं। दूसरा भारतीयों का मानना था कि उनके पास उनकी आय का 6.4 गुना कवरेज है, लेकिन वास्तविक कवरेज औसतन केवल 3.1 गुना है, जो वित्तीय तैयारी में एक बड़े अंतर है।

वहीं तीन में से एक से अधिक भारतीयों ने कभी भी अपने जीवन बीमा कवरेज की समीक्षा नहीं की है, यहां तक कि जीवन की बड़ी घटनाओं के बाद भी स्व-रोजगार और संपन्न व्यक्तियों में यह संख्या बढ़कर 43 प्रतिशत हो जाती है, जिससे उन्हें कम बीमा होने का अधिक जोखिम होता है।

चौथा, युवा व्यक्ति पहले से ही बीमा खरीद रहे हैं, 46-50 आयु वर्ग, जो आमतौर पर 33 वर्ष की आयु में पॉलिसी खरीदता था, ने अपनी बीमित राशि में कम विश्वास व्यक्त किया, जो कवरेज पर्याप्तता के बारे में चल रही अनिश्चितता को दशार्ता है। पांवचां, 46 प्रतिशत भारतीय जीवन बीमा निर्णयों के लिए व्यक्तिगत शोध पर भरोसा करते हैं, जो स्व-निर्देशित सीखने को प्राथमिकता देते हैं।

जागरुकता की कमी भी है बड़ा कारण

भारतीय लोगों में पर्याप्त मात्रा में जीवन बीमा न ले पाने के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि जागरुकता की कमी है। लोगों को यह नहीं मालुम की उनकी जिंदगी की क्या अहमियत है। उनके न रहने के बाद उनके परिवार की जरूरतें कैसे पूरी होंगी। यही कारण है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद, कुल बीमित राशि जीडीपी का सिर्फ 70 प्रतिशत है – जो कि अमेरिका (251 प्रतिशत), थाईलैंड (143 प्रतिशत ) और मलेशिया (153 प्रतिशत) जैसे देशों की तुलना में काफी कम है, जो एक महत्वपूर्ण सुरक्षा अंतर को उजागर करता है।

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