संजीव कुमार, रोहतक :
हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष और सांसद दीपेंद्र हुड्डा महम हलके के गांव निन्दाणा पहुंचे जहां उन्होंने रूस में हुई जूनियर वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप के 97 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान दीपक नेहरा के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। दीपेन्द्र हुड्डा ने दीपक नेहरा को जीत की बधाई देते हुए अभी से पेरिस ओलंपिक के लिए तैयारी में जुटने को कहा और आगे ओलंपिक में स्वर्णिम जीत के लिये अपनी शुभकामनाएं दी। इस दौरान पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी भी मौजूद रहे।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते देश आर्थिक दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन के जरिये देश की छह लाख करोड़ रुपयों की संपत्ति बेचने की सरकारी योजना पर गहरी चिंता जताते हुए अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि नोटबंदी के बाद सरकार का ये कदम अर्थव्यवस्था के लिये घातक साबित होगा। सड़क, रेलवे, हवाई अड्डों, खेल स्टेडियमों, बिजली पारेषण लाइनों और गैस पाइपलाइनों सहित देश की संपत्ति को निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला शर्मनाक है और इससे आर्थिक समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलेगा। आखिर सरकारी संपत्ति बेचकर कब तक काम चलायेगी सरकार। हर कोई इस बात को जानता है कि जब परिवार का मुखिया घर की जमीन और जेवर बेचने लगे तो समझ लेना चाहिए कि परिवार भयंकर आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। सरकार का ये निर्णय स्वत: दशार्ता है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जिसे सरकार भले स्वीकार न करे, लेकिन सरकार के हर कदम से ऐसा लगता है कि स्थिति बहुत दयनीय है। उन्होंने मांग करी कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।
दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार की नीतियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि सरकार की आर्थिक बदहाली का आलम यह है कि पिछले 7 साल से सरकार ने तेल और गैस कीमतें बढ़ाकर भारी मुनाफा कमाया, आम लोगों पर भारी भरकम टैक्स का बोझ लादा, फिर भी उसे सरकारी संपत्ति बेचनी पड़ रही है। सरकार डीजल-पेट्रोल पर भारी टैक्स लगाकर आम जनता को लूट रही है। बावजूद इसके अगर सरकार को देश की संपत्तियों को बेचना पड़ रहा है तो इससे स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खोखली हो चुकी है।
उन्होंने सरकार की वैचारिक शून्यता पर प्रहार करते हुए कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के सामने घुटने टेक चुकी है। विकास और रोजगार कहीं नजर नहीं आ रहा है। सरकार ने बेरोजगार युवाओं को, बेहाल किसानों को और परेशान व्यापारियों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। मंदी, महंगाई, महामारी से करोड़ों लोग गरीबी के कुचक्र में फंस गए, करोड़ों नौकरियां जा चुकी हैं। बेरोजगारी युवाओं का भविष्य लील रही है। महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है। डीजल-पेट्रोल, घरेलू गैस, खाद्य तेल के रोजाना बढते दामों ने आम आदमी को आर्थिक तौर पर तबाह कर दिया है। ऐसे में 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय संपत्तियों का मुद्रीकरण देश को आर्थिक खोखलेपन की ओर ले जाएगा।
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