Categories: Others

The conscience of the rebellious Vedanti: विद्रोही वेदांती का विवेक

गरीबों के प्रति विवेकानंद की करुणा यकबयक, अचानक भूकंप या ज्वालामुखी के लावा की तरह पदार्थिक नहीं है। उसका प्रचार उनके अनुयायी भी कहीं कहीं करते हैं। भारत के अतीत की फकत आध्यात्मिक उपलब्धियों की कुछ लोग डींगें मारते हैं। उनसे विवेकानंद खुद को अलग करते हैं। वे भारत की भौतिक समृद्धि से भी बेखबर नहीं हैं। वे देश में अमीरी का यूरोप नहीं उगाना चाहते, लेकिन गरीबी, अशिक्षा, कमजोरी को राष्ट्रीय अभिशाप मानते हैं। स्वामी जी ने कहा था कि मैं समाजवादी हूं। समाजवाद के प्रति उनके संदेह भी थे। उन्होंने भविष्यवाणी की आगे चलकर शूद्रों का ही शासन होगा। सर्वहारा पहले रूस और फिर चीन में सियासी क्रांति करेगा। वे चाहते थे भारत में सर्वहारा के पक्ष में सत्ता का हस्तांतरण हो लेकिन हिंसक नहीं हो।
विवेकानंद की राय में भारत अपने आदर्शों लेकिन उलट व्यवहार के घालमेल का देश बनाया गया है। वे घातक, अन्यायपूर्ण और अर्थहीन जाति प्रथा के खिलाफ थे। उनके भाषण, लेख और चिट्ठियां इस समाजविरोधी आचरण के खिलाफ लगातार होते आह्वान हैं। जातिप्रथा ने सदियों से इस देश के सामाजिक इतिहास को कलंकित किया है। भारत का पतन उसी वक्त तय हो गया, जब उसने ‘म्लेच्छ’ शब्द ईजाद किया। ‘म्लेच्छ’ शब्द के इतिहास में कई अनुवाद होते रहे। ‘शूद्रों’ या ‘अछूतों’ के लिए भी पैदा किए शब्द ने उन्नीसवीं सदी के अन्त में विवेकानंद की आत्मा को झकझोरा। उन दिनों हिन्दू पुरोहितों का जमावड़ा इस समस्या के उत्पादक की अपनी भूमिका के लिए आत्ममुग्ध रहा था। अनोखी ओजपूर्ण शैली में विवेकानंद कहते हैं। भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में जो दोष व्याप्त थे उनकी अनदेखी विवेकानंद ने नहीं की। वे ऐसे प्रदूषित परिवेश को जड़ से उखाड़ देना चाहते थे। यह दुर्भाग्य है कि धार्मिक और आध्यात्मिक शक्तियों का प्रवचन करने वाले तत्वों ने ही उनका शोषण किया है। कालजयी चिरपरिचित भविष्यत शैली में विवेकानंद ने जनघोष किया था। (‘तुम लोग शून्य में विलीन हो जाओ और फिर एक नवीन भारत निकल पड़े। निकले हल पकड़कर, किसानों की कुटी भेदकर, जाली, माली, मोची, मेहतरों की झोपड़ियों से। निकल पड़े बनियों की दूकानों से, भुजवा के भाड़ के पास से, कारखाने से, हाट से, बाजार से। निकले झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से। इन लोगों ने सहस्त्र सहस्त्र वर्षों तक नीरव अत्याचार सहन किया है,-उससे पायी है अपूर्व सहिष्णुता। सनातन दु:ख उठाया, जिससे पायी है अटल जीवनी शक्ति। ये लोग मुट्ठी भर सत्तू खाकर दुनिया उलट दे सकेंगे। आधी रोटी मिली तो तीनों लोक में इतना तेज न अटेगाद्? (विवेकानंद साहित्य: अष्टम खण्ड, पृष्ठ 167)।
विवेकानंद ने भाषायी अभिव्यक्तियों को ताजातरीन अर्थ देने नये शब्द गढ़े थे। पोंगापंथी, रूढ़िवादी समझ के लिए उन्होंने ‘रसोई धर्म’ जैसा शब्द गढ़ा। छुआछूत के विरुद्ध विवेकानंद ने आजीवन संघर्ष किया। मानमदुरा के अपने प्रसिद्ध भाषण में विवेकानंद ने कहा था (‘हमारे धर्म के लिए भय यही है कि वह अब रसोईघर में घुसना चाहता है। हममें से अधिकांश मनुष्य इस समय न तो वेदान्ती हैं, न पौराणिक और न तांत्रिक, हम हैं ‘छूतधर्मी अर्थात ‘हमें न छुओ’ इस धर्म के माननेवाले। हमारा धर्म रसोईघर में है। हमारा ईश्वर है ‘भात की हांड़ी’ और मंत्र है ‘हमें न छुओ, हमें न छुओ, हम महा पवित्र हैं।’ अगर यही भाव एक शताब्दी और चला, तो हममें से हर एक की हालत पागलखाने में कैद होने लायक हो जायगी। (विवेकानंद साहित्य: पंचम खण्ड, पृष्ठ 64)। छुआछूत की बीमारी के खिलाफ विवेकानंद का जेहाद यकबयक नहीं था। इसी कालजयी आशंका ने बीसवीं सदी के पांचवें दशक में भारतीय संविधान की बन्दिश के रूप में खुद को चस्पा किया। भारतीय समाज के मानसिक रोगी में तब्दील होते जाने की विवेकानंद की घबराहट एक ऐतिहासिक तथ्य ही तो है।
क्या वजह है विवेकानंद अपनी चेतावनियों में आमफहम भाषा में कथन, उद्धरण और प्रतीक चुनते हैं। वे सामान्य जन की स्वीकार्यता के लिए मौजूं रहे हैं। विवेकानंदकालीन भारत जड़ समाज था। निरक्षरता, कूढ़मगजता, कूपमंडूकता, रूढ़िवादिता से भी जकड़े समाज के आह्वान के लिए बुद्धिमय, कठिन और सांकेतिक भाषा में संवाद करने का बौद्धिक माहौल नहीं था। उनकी रणनीति केवल पढ़े लिखे भारतीयों को सम्बोधित करने की नहीं थी। ‘रसोईघर’ के लोकप्रिय जुमले के जानबूझकर चुने गए प्रतीक के जरिए विवेकानंद घरेलू स्त्रियों से सीधा संवाद करना चाहते हैं। उससे छुआछूत के खिलाफ सामाजिक संघर्ष में महिलाओं का साथ लिया जा सके। मजहबी आडम्बरों के मकड़जाल में फंसे समाज को पंडों पुरोहितों और (आज की तरह) पाखंडी साधुओं के आक्टोपस-गिरोह के रहते उठ खड़े होने की विरोधी आवाज आमफहम भाषा की बानगियों में ही मयस्सर थी।
राजनीति में ब्राह्मणत्व के सहारे सत्ता के समीकरणों को हल करने की कोशिश में लगे दक्षिणपंथी तत्व विवेकानंद के विस्फोटक विचारों से जानबूझकर कन्नी काटते रहे हैं। दक्षिणपंथी संदिग्ध व्याख्या विवेकानंद को इतिहास में ठीक ठीक पेश नहीं करती। कई समाजवादी विचारकों ने भी साहसिक, मौलिक और गैरजरूरी अभियान के तहत विवेकानंद के वामपंथ को दरकिनार भी किया है। उन्नीसवीं सदी के दकियानूस, मजहबबाधित और जाहिल हिन्दू समाज के रहते विवेकानंद जो कुछ कह पाए। उसे मौजूदा सदी के चश्मे से भी देखा जाए। अपने वक्त से पहले कह पाने का साहस विवेकानंद के कथन की भविष्यमूलकता को उकेरता है। विवेकानंद के विचारों का उल्था करने मौजूदा भाषा की मदद की ज्यादा जरूरत है। उनके विचारों में तत्कालीन शब्दों के मायनों से कहीं ज्यादा भविष्य के संकेत छिपे हैं। कालजयी आह्वान इसी तरह होते हैं। उनमें फकत वक्ती तेवर नहीं होते। विवेकानंद के आरोप इसलिए आज के समाज पर उसी तरह चस्पा हैं।
विवेकानंद छुआछूत की बीमारी के पहले चश्मदीद भुुक्तभोगी भी नहीं थे। उनका मनुष्यसमर्थक विद्रोह उनकी प्राथमिक करुणा का अंतिम ड्राफ्ट था। वे बार बार कहते हैं, ‘मत छुओवाद’ एक तरह की मानसिक बीमारी है। छुआछूत को शिक्षित मस्तिष्क से उपजी घृणा से आगे बढ़कर तथाकथित कुलीन वर्ग को ही मानसिक रोगी घोषित कर देना एक खतरनाक स्थापना भी रही है। विवेकानंद के अनुसार एक संतुलित दिमाग ऐसी खतरनाक बीमारियां सामाजिक व्यवहार के लिए पैदा नहीं कर सकता। मनोविकार विशेषज्ञ बताते हैं डरा हुआ मनोरोगी ही ‘मत छुओ’ जैसी बीमारी का शिकार होता है। स्पर्श करना मूक भाषा में इन्सानी मौसम की फुलझड़ी जलाना है। वह मनुष्य का कुदरती, नैतिक और इरादतन आचरण है। खिलाफ आचरण करना इन्सान के ही प्रति अविश्वास है। बीमारी का इलाज चीरफाड़ की क्रिया द्वारा भी होता है। विवेकानंद आदेश देते हैं, ‘ऐसी प्रथा को लात मारकर बाहर निकालो।’ अपनी थ्योरी के समर्थन में यह भी कहते हैं। ‘अपने तमाम शैक्षणिक दावों और आधुनिकता के साथ विवेकानंद वर्ण व्यवस्था के पक्ष में तर्कपूर्ण तथा मौलिक नस्ल की वकालत की। वे वर्णव्यवस्था और जाति प्रथा में भेद करते हैं। जाति प्रथा के वहशीपन के खिलाफ जीवन भर जेहाद करते रहे। रूढ़ियों से उन्हें बेसाख्ता नफरत थी। (कम्पलीट वर्क्स आॅफ स्वामी विवेकानंद भाग-5,पृष्ठ 106 ) 11 सितम्बर 1893। शिकागो के आर्ट इंस्टीट्यूट के विशाल सभाकक्ष में आयोजित धर्म संसद में सन्ध्या के सत्र में एक फ्रांसीसी पादरी के अनुरोध पर भाषण देने युवा भारतीय संन्यासी खड़ा होता है। हृष्टपुष्ट देह, आत्मिक तेज से दमदमाता चेहरा लिये यह गेरुआ वस्त्रधारी संन्यासी कालजयी वाणी में शुरूआत करता है, ‘अमेरिकावासी बहनों और भाइयों!’ इतना सुनते ही विशाल सभाकक्ष में अन्तहीन तालियां बजने का सिलसिला शुरू होता है।
पहली बार अमीर अमेरिका के लोगों को लगा उनके संसार के बाहर भी दुनिया है। कोलम्बस द्वारा अमेरिका को खोजे जाने के चार सौ सालाना जश्न के अवसर पर आयोजित समारोह में इस संन्यासी ने इतिहास की परतों को चीर कर फेंक दिया। साबित किया दुनिया के सभी धर्मों का एक उद्देश्य है ह्यसत्य की स्थापनाह्य। दुनिया को लगा जैसे पुराण के पन्नों में जान पड़ गई हो। जैसे भारत के विद्रोही सन्तों की आत्मा का स्वर इस युवा संन्यासी के कंठ की परतों को चीर कर समा गया हो। जैसे दुर्गा सप्तशती की विद्रोहिणी भाषा इतिहास बदलने को गरज उठी है। यह बोली केवल विवेकानंद की नहीं थी। उनके गुरु परमसिद्ध श्रीरामकृष्णदेव की शिक्षाओं का सार थी। यह भारत की बोली थी। यह भारत के इतिहास, उसकी समन्वयवादी संस्कृति और उसकी एक विश्ववाद की पैरवी की बोली थी। उस रात वह युवा विचारक एक अमीर के घर में मेहमान बना सो नहीं पाया। आंसुओं से तकिया भींग गया। र्मान्तक पीड़ा से बेचैन वह धरती पर यानी अपनी मां की गोद में लेटकर चीखता है…ह्यओह मां! नाम और प्रसिद्धि लेकर मैं क्या करूंगा जब मेरी मातृभूमि अत्यंत गरीब है। कौन भारत के गरीबों को उठायेगा? कौन उन्हें रोटी देगा? हे मां! मुझे रास्ता दिखाओ, मैं कैसे उनकी मदद करूं?ह्य
कनक तिवारी

admin

Recent Posts

Punjab Farmer Protest Update : डॉक्टरी सहायता के बीच डल्लेवाल का अनशन जारी

केंद्र सरकार द्वारा किसानों की मांगों पर वार्ता के लिए बैठक तय करने पर चिकित्सीय…

2 minutes ago

Haryana News : हरियाणा भाजपा अध्यक्ष पर गैंगरेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता आई सामने

पीड़िता ने बताया जान का खतरा बोली- मैं जल्द सबूतों के साथ करूंगी प्रेस कांफ्रेंस…

4 minutes ago

Haryana News: कांग्रेस नेतृत्व दिल्ली चुनाव में व्यस्त, हरियाणा में जल्द होगी प्रतिपक्ष की घोषणा: भूपेंद्र हुड्डा

कहा- हर मोर्चे पर विफल रही भाजपा सरकार, प्रदेश को बेरोजगारी में बनाया नंबर वन…

18 minutes ago

Punjab News : पीएसपीसीएल ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया

बिजली आपूर्ति में 13% वृद्धि की दर्ज : हरभजन सिंह ईटीओ Punjab News (आज समाज),…

20 minutes ago

Hisar Crime News: हिसार में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दर्ज किया केस Hisar Crime News (आज समाज) हिसार: जिले…

29 minutes ago

Delhi News : देश के लिए आतंकवाद बड़ी समस्या : अनुराग ठाकुर

कहा, मोदी सरकार ने आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई Delhi News (आज…

32 minutes ago