ट्रंप के फैसले से कैसे निपटेगी भारत सरकार, या फिर पड़ेगी टैरिफ वार की मार
Business News Hindi (आज समाज), नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को अमेरिका की संसद को संबोधित किया। अपने पहले ही संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐसी कई बातें व घोषणाएं की जिन्होंने विश्व के कई देशों की चिंता बढ़ा दी। इनमें से एक ऐसी घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ने की है जिससे भारत के कई उद्योगपतियों के साथ-साथ भारत सरकार की भी परेशानी बढ़ गई है। वह घोषणा है पारस्परिक टैरिफ लगाने की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह स्पष्ट शब्दों में कहा है कि दो अप्रैल से वह भारत के सामान पर भी 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे।
भारत को होगा 61 हजार करोड़ रुपए का सालाना नुकसान
यदि ऐसा होता है तो एक अनुमान के अनुसार भारत को हर सल 61 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। मेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक शुल्क की धमकी से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध छिड़ने की आशंकाओं बीच भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के तहत चुनौती का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की कोशिश कर रहा है। मामले से परिचित लोगों ने वाशिंगटन में 13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ट्रंप द्वारा व्यक्त की गई प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए कहा कि भारत को समाधान खोजने का भरोसा है।
2030 तक वार्षिक व्यापार 500 बिलियन डॉलर का लक्ष्य
बैठक में दोनों पक्ष इस साल के अंत तक एक व्यापार समझौते पर बातचीत करने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए 2030 तक वार्षिक व्यापार में 500 बिलियन डॉलर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने पर सहमत हुए। मोदी-ट्रंप वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि इस स्तर के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक नई और निष्पक्ष व्यापार शर्तों की आवश्यकता होगी।
इन देशों पर अमेरिका लगा चुका टैरिफ
चीन, मेक्सिको और कनाडा के उत्पादों पर अमेरिका का टैरिफ मंगलवार से लागू हो गया है। माना जा रहा है कि इसी के साथ दुनिया टैरिफ वॉर के दौर में प्रवेश कर गई है। अमेरिका में उत्पादों के हिसाब से टैरिफ दरें अलग-अलग
अमेरिका में कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन एजेंट्स पूरे देश में 328 बंदरगाहों पर टैरिफ एकत्र करते हैं। अमेरिका में टैरिफ दरें अमेरिका में उत्पादों के हिसाब से टैरिफ दरें अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए पैसेंजर कारों पर यह 2.5 प्रतिशत और गोल्फ शूज पर 6 प्रतिशत हैं। उन देशों के लिए टैरिफ दरें कम हो सकती हैं, जिनके साथ अमेरिका का व्यापार समझौता है।