नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती और कमी को लेकर चर्चा हो रही है। अर्थव्यस्था में वृद्धि नहीं होने और आगे नहीं बढ़ने को लेकर विपक्ष लगातार सरकर को कटघरे में खड़ा किया है। अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर चिंता जाहिर कर रहा है। अब आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार अर्थव्यवस्था को लेकर बयान दिया। उनहोंने कहा कि अर्थव्यवस्था में ऋण लेने की प्रक्रिया गति पकड़ रही है। साथ ही उन्होंने नीतिगत दर में कटौती का लाभ नीचे तक पहुंचने की रफ्तार आने वाले दिनों में और सुधरने की उम्मीद भी जताई। साथ ही मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है जबकि औद्योगिक उत्पादन में नरमी देखी गई है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल की बैठक को संबोधित किया। सीतारमण ने कहा कि कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह को लेकर बैंकों की निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि ऋण सीमा का विस्तार किया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि मांग बढ़ने और इसके साथ क्रेडिट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यह सक्षम होगा। मैं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों और ऋण सुविधा के उनके विस्तार की निगरानी कर रही हूं।
शशिकांत दास और निर्मला सीतारमण रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। दास ने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का लाभ नीचे तक नहीं पहुंच रहा है, वह इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का नीचे तक असर लगातार सुधर रहा है। उन्होंने आगे और बेहतर होने की भी उम्मीद जताई।
दास ने कहा कि ऋण उठाव की गतिविधियों में गति आई है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले महीनों में ऋण उठाव की वृद्धि दर बढ़ेगी। मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने और वैश्विक बाजार की परिस्थितियों के कारण केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरूआत में 2020 की अपनी पहली मौद्रिक समीक्षा नीति में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया था। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने छह फरवरी को अपनी समीक्षा के बाद रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। हालांकि बैंक ने अपने रुख को उदार बनाए रखने की घोषणा की थी जिसका मतलब वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए वह भविष्य में नीतिगत दर में कटौती कर सकता है। रिजर्व बैंक ने फरवरी में लगातार दूसरी बार नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा था। इससे पहले दिसंबर में भी उसने नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया था जबकि दिसंबर से पहले की पांच मौद्रिक समीक्षाओं में केंद्रीय बैंक ने कुल 1.35 प्रतिशत की कटौती की थी। शक्तिकांत दास ने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का नीचे तक पहुंचने की रफ्तार आने वाले दिनों में और सुधरेगी। साथ ही अर्थव्यवस्था में ऋण उठाने की गतिविधियां भी बेहतर हुई है। हमने अगले वर्ष के लिए 6 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है, जो आर्थिक सर्वेक्षण प्रक्षेपण के अनुरूप है।
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