शिक्षा का मूल मंत्र था –
असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्यर्मा मा अमृत गमय।
यानी (हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो
शिक्षा का मूल मंत्र जो कहीं खो गया था बल्कि विलुप्त हो गया था। उद्देश्य पूरी तरह भटक गया था। लगातार सरकार के सारे विभागों में बड़ा ह्रास आया .. सबसे अधिक ह्रास शिक्षा में आया जिसने देश की नीव को ही हिला दिया .. और देश की जो स्थिति है उसने एक बड़ा कारण है ..
नयी शिक्षा नीति २०२० इसी उद्देश्य से बदली गयी है और एक और वायदे को सरकार ने पूरा किया .. स्कूली एवं उच्च शिक्षा में ..महत्वपूर्ण बदलाव किए गये है ३-६ इक्स्पीरीएन्शल .. .. ६-९ में स्किल बेस का प्रावधान है .. ५+३+३+४ ..
५वी तक मातृभाषा में शिक्षा और उससे आगे भी जहां तक सम्भव हो .. मातृभाषा में .. यह आवश्यक कदम है हम अपनी भाषा में बात करते है अपनी भाषा में सोचते हैं अपनी भाषा में स्वप्न देखते है..अंग्रेज़ी बड़ी रुकावट है .विदेशी भाषा का ज्ञान अच्छी बात है लेकिन विदेशी भाषा सम्पर्क ..अचार विचार और शोध की भाषा नहीं हो सकती न हमारी शिक्षा का माध्यम ..
आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है पूरे देश को स्किल होना है .. स्कूली शिक्षा को उद्योग से जोड़ना एक महत्वपूर्ण कदम है .. उच्च शिक्षा का एक वर्ष भी अब व्यर्थ नही जायेगा ..बहु विकास ..अब फ़िज़िक्स के साथ मात्र गड़ित नहीं हिस्ट्री , म्यूज़िक या राजनीति शास्त्र भी के सकते हैं .. इंजीनियरिंग का एक साल भी अब व्यर्थ नहीं..१ वर्ष पूरा किया है तो सर्टिफ़िकेट.. २वर्ष में डिप्लोमा और पूरे ४ वर्ष डिग्री . ..गैप देकर भी पूरी कर सकते हैं .. आज आपको आर्थिक या स्वास्थ्य कारणो से छोड़ना पड़ता है निश्चित समय में बाद में पूरा कर सकते हैं .. आपका रेकर्ड आपके अंक आपके डिजिटल लॉकर में रहेंगे .
तकनीक ..
पर बड़ा ज़ोर .. आधुनिक तकनीक ही शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता ला सकती है ..कुल मिलाकर मूल्यों और तकनीक के समावेश से उद्देश्य पूरा किया जा सकता है लक्ष्य हासिल किया जा सकता है
. कालेजों को सीमित स्वायत्तता विश्वविद्यालयों के परीक्षा के बोझ में कमी .. सभी विश्विद्यालय निजी हों सरकारी या डीम्ड एक स्तर ..एक रेग्युलेटिंग बॉडी ..व्याप्त समस्याओं के हल में सहायक हो सकती हैं …
..किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिये एक प्रवेश परीक्षा …
जीडीपी के 6% खर्च .. की प्रतिबद्धता जो आज 4% के लगभग है .. प्रभावी बदलाव हैं .
यदि प्रभावी और समयबद्ध क्रियानवन .. होता है तो बड़ा बदलाव आ सकता है .. अभी तक शिक्षा क्षेत्र में जो बदलाव हुये है धरातल पर क़तई दिखायी नहीं दिए हैं शिक्षा के अधिकार की भी नीति बनी। कक्षा 5 तक फ़्री शिक्षा लेकिन धरातल पर नहीं है। चुनौती प्रभावी क्रियान्वयन की है।

पूरन डावर
लेखक चिंतक एवं विश्लेषक हैं। ये इनके निजी विचार हैं।