Himachal News (आज समाज), धर्मशाला। पोमाटो प्रौद्योगिकी: एक दोहरे उद्देश्य वाले पौधे की तस्वीरें अब आधिकारिक तौर पर भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अधिकार (एल-0149866/2024) के तहत साहित्यिक/नाटकीय कार्य के रूप में पंजीकृत हैं। इस कार्य का उद्देश्य एक दोहरे उद्देश्य वाले पौधे पोमेटो को विकसित करना है। इस नवाचार कार्य का श्रेय हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग, जैविक विज्ञान स्कूल के प्रो. प्रदीप कुमार और सीएसकेएचपीकेवी पालमपुर के डॉ. रवीन शर्मा, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब की डॉ. वंदना ठाकुर और डॉ. सनी शर्मा को जाता है।
प्रो. प्रदीप कुमार के अनुसार पोमेटो एक सरल पुनर्योजनी पौधा है, जिसे टमाटर की शाखा को आलू के रूटस्टॉक पर कलम करके विकसित किया गया है। इस प्रक्रिया से एक ऐसा अनोखा पौधा तैयार हुआ है जो जमीन के ऊपर टमाटर और जमीन के नीचे आलू उत्पन्न करता है। इस दोहरे उद्देश्य वाले पौधे में अपने दोनों मूल पौधों के अनुकूल गुण पाए जाते हैं, जैसे कि आलू में ठंड के प्रति प्रतिरोधकता तथा टमाटर में गर्मी के प्रति सहनशीलता। पोमेटो को घर के अंदर और बाहर दोनों जगह उगाया जा सकता है, जिससे यह विभिन्न कृषि परिवेशों के लिए एक बहुमुखी विकल्प बन जाता है।
प्रत्येक पोमैटो पौधे को सावधानीपूर्वक हाथ से ग्राफ्ट किया जाता है, जिससे इसकी अनोखी दोहरी फसल क्षमता सुनिश्चित होती है। इस नवाचार में आनुवंशिक इंजीनियरिंग शामिल नहीं है, बल्कि आलू और टमाटर के पौधों के बीच घनिष्ठ आनुवंशिक संबंध का लाभ उठाते हुए ग्राफ्टिंग की प्राकृतिक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। पोमैटो कृषि प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका उद्देश्य प्रति इकाई क्षेत्र में उपज को अधिकतम करना है।