आंतकवाद मानवता पर अभिशाप: सईदूर रहमान

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Terrorism curse on humanity

मनोज वर्मा, कैथल:

मौलाना मोहम्मद सईदूर रहमान संचालक मदनी मदरसा कैथल ने बताया की, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में 21 मई को राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। यह दिन शांति, सद्भाव और मानव जाति के संदेश को फैलाने, आतंकवाद जैसे वैश्विक खतरे के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए भी मनाया जाता है।

भारत ने आतंकवाद विरोधी प्रयासों को दी गति 

हाल के वर्षों में, भारत ने अपने आतंकवाद विरोधी प्रयासों को खासी गति दी है, लेकिन आतंकवाद का खतरा निरंतर बना हुआ है। राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस पर, हम इस संकट से लडऩे के लिए अपनी प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करते हैं और उन सभी के साथ एकजुटता से खड़े होते हैं जो आतंकवादी हमलों से प्रभावित हुए हैं। मौलाना ने कहा कि, भारत जितनी प्रगति कर रहा है, उसे देख कर कुछ विदेशी देशों को परेशानी हो रही है। इसलिए वह आंतकवाद को हमारे देश में फैलाकर देश की प्रगति को रोकना चाहते है। नफरत और हिंसा को देश में फैलाने के लिए आंतकवाद का सहारा ले रहे हैं ताकि देश की प्रगति ना हो और देश के लोग डर में जीएं। हमें उनको उनके गलत इरादों में कामयाब नहीं होने देना है।

आंतकवाद विश्व के सभी देशों के लिए परेशानी

आंतकवाद विश्व के लगभग सभी देशों के लिए परेशानी बन गया है। अगर इसे वक्त रहते समाप्त नहीं किया गया, तो देश की अर्थव्यवस्था, लोगों की जि़न्दगी और देश की प्रगति मुश्किल में पड़ जायेगी। आंतकवाद मानवता पर एक बहुत बड़ा अभिशाप है। जिसके लिए देश को और अधिक गंभीर होने की ज़रूरत है। अब वक्त आ गया है आंतकवाद को उसकी जड़ से उखाड़ फेंकने का। हम सभी देशवासियों को एक जुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लडऩी है। मासूम युवकों को धर्म के नाम पर भडक़ाकर और दूसरे धर्म सम्प्रदायों के प्रति जलन और द्वेष उत्पन्न करके उनके हाथों में बंदूके थमा दी जाती हैं और आतंकवादी बनने पर मज़बूर किया जाता है। ज़रूरत है युवकों में जागरूकता फैलाना और उन्हें यह समझाना की देश सभी के लिए है और देश सभी के हितों की परवाह करता है। आंतकवाद जिसने न केवल हमारे देश बल्कि पूरी दुनिया की नीव हिलाकर रख दी है। आंतकवादी दानव बनकर मनुष्य जाति का कत्ल कर रहा है। आंतकवादी वह लोग हैं जो धर्म और गलत समूह के हाथ अपने सोचने समझने की शक्ति खत्म कर देते है। वह भी इंसान है, फर्क बस इतना है उनके अंदर से इंसानियत खत्म हो गयी है।

 

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