Terror Funding And Online Betting: अवैध आनलाइन सट्टेबाजी व जुआ खिलाने वाली कंपनियों के जरिये हो रही आतंकी फंडिंग

0
110
Terror Funding And Online Betting अवैध आनलाइन सट्टेबाजी व जुआ खिलाने वाली कंपनियों के जरिये की जा रही आतंकी फंडिंग
Terror Funding And Online Betting : अवैध आनलाइन सट्टेबाजी व जुआ खिलाने वाली कंपनियों के जरिये की जा रही आतंकी फंडिंग

Illegal Online Betting And Terror Funding, (आज समाज), नई दिल्ली: अवैध आनलाइन सट्टेबाजी और जुआ खिलाने वाली कंपनियों के माध्यम से आतंकी फंडिंग व मनी लॉन्ड्रिंग की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के सुरक्षा एवं वैज्ञानिक तकनीकी अनुसंधान संघ की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसी कंपनियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बनकर उभरी हैं।

  • भारत में करीब 10 लाख करोड़ का बाजार

रिपोर्ट के मुताबिक अवैध आॅनलाइन सट्टेबाजी और जुए से भारतीय नागरिकों के साइबर हमलों व असुरक्षित आॅनलाइन माहौल में फंसने की आशंका बढ़ जाती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मौजूदा कानूनी व नियामकीय ढांचा वैध और गैर-कानूनी गतिविधियों के बीच पर्याप्त अंतर नहीं करता है। इस वजह से अवैध आॅनलाइन गेमिंग मंच अक्सर आतंकी फंडिंग व मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने के माध्यम के रूप में काम करते हैं।

बाजार के आकार का नहीं कोई आधिकारिक अनुमान

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सट्टेबाजी व जुए के बाजार के आकार का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है। हालांकि, इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स सिक्योरिटी की 2017 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत में अवैध सट्टेबाजी-जुआ बाजार 150 अरब डॉलर (करीब 10 लाख करोड़ रुपए) का है।

आईटी नियम-2021, यह दिया है सुझाव

आईटी नियम-2021 आनलाइन रियल मनी गेमिंग व अवैध सट्टेबाजी-जुए की प्रथाओं के बीच अंतर करता है। हालांकि, रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारतीय कानून का अनुपालन करने वाले वैध आनलाइन गेमिंग मंचों को श्वेत सूची में डालने के लिए एक पंजीकरण तंत्र बनाना चाहिए।

कानून में अंतर

रिपोर्ट में सरकार से आॅनलाइन गेमिंग बिचौलियों के लिए आईटी नियम-2021 को लागू करने की सिफारिश की गई है ताकि वैध आॅनलाइन गेमिंग व सट्टेबाजी-जुए के बीच कानून में अंतर उत्पन्न किया जा सके। आॅनलाइन गेमिंग के विनियमन के लिए तैयार निर्देश अभी लागू नहीं किए गए हैं।

सरोगेट विज्ञापन का भी इस्तेमाल

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अवैध आॅनलाइन गेमिंग मंच आरबीआई के उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) का दुरुपयोग कर रहे हैं। रिपोर्ट में ऐसे उदाहरणों का भी जिक्र है, जहां ये मंच खुद को ग्रॉसरी प्लेटफॉर्म के रूप प्रदर्शित कर रहे हैं। साथ ही, मौजूदा नियमों को दरकिनार करने के लिए सरोगेट विज्ञापन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

किसी और इमेज के जरिये ब्रांड का विज्ञापन

सरोगेट विज्ञापन में किसी और इमेज के जरिये कंपनियां अपने अन्य उत्पाद या ब्रांड का विज्ञापन करती हैं। भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) की ओर से प्रकाशित 2023-24 की वार्षिक शिकायत रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापन सबसे अधिक समस्याग्रस्त श्रेणियों में से एक बन गए हैं। ये 17 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर हैं।