Telangana Foundation Day: 2014 में आज ही के दिन हुआ था तेलंगाना का गठन, जानिए किस तरह लंबी जंग के बाद मिली पहचान

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Telangana Foundation Day 
2014 में आज ही के दिन हुआ था तेलंगाना का गठन

Aaj Samaj (आज समाज),Telangana Foundation Day, नई दिल्ली: दक्षिण भारत क्षेत्र के राज्य तेलंगाना का 2014 में आज ही के दिन आधिकारिक तौर पर गठन किया गया था, इस तरह दो जून 2014 को अस्तित्व में आने के बाद से ही इस दिन को तेलंगाना स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य के लोगों को इस मौके पर बधाई दी है। लंबी लड़ाई के बाद आंध्र प्रदेश से तेलंगाना को अलग करके इस राज्य गठन संभव हो पाया है।

  •  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के लोगों को दी बधाई 

कई दशक से अलग राज्य की मांग कर रहे थे लोग

तेलंगाना राज्य वासी कई दशकों से अलग राज्य की मान्यता व स्वायत्तता की मांग कर रहे थे। बता दें उपेक्षा, सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और राजनीतिक हाशिए पर धकेले जाने के कारण एक अलग राज्य की मांग को बल मिला था। इन्हीं शिकायतों को दूर करने व लोगों के अधिकारों तथा आकांक्षाओं को सेफ करने के मकसद से एक आंदोलन उभरा, जो तेलंगाना के गठन के साथ खत्म हुआ। सबसे पहले बता दें कि वर्ष 1969 में तेलंगाना को अलग करने की मांग तेज हुई।

एक नवंबर, 1956 को तेलंगाना का आंध्र में हुआ विलय

राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों पर 1 नवंबर, 1956 को तेलंगाना (तात्कालीन हैदराबाद) का भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश में विलय हुआ था। हालांकि, विलय के कुछ समय बाद ही इसका असर दिखने लगा और राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में तेलंगाना इलाका पिछड़ता चला गया। शैक्षणिक, आर्थिक और अन्य सभी स्तरों पर यह क्षेत्र पिछड़ता नजर आया।

यह है तेलंगाना का इतिहास

तेलंगाना अपने समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह राज्य जीवंत सांस्कृतिक विरासत का दावा करता है, जो यहां के लोगों की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है। यह क्षेत्र बोनालू, बथुकम्मा, और पेरिनी शिवतांडवम जैसे अद्वितीय कला रूपों के लिए प्रसिद्ध है, जो तेलंगाना के सांस्कृतिक टेपेस्ट्री को प्रदर्शित करते हैं।  तेलंगाना काकतीय राजवंश से जुड़ा है, जो अपने वास्तुशिल्प चमत्कारों और सांस्कृतिक योगदान के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसे विदेशी आक्रमणों और औपनिवेशिक शासन की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसने इस क्षेत्र की स्वायत्तता और पहचान को प्रभावित किया। काकतीय वंश के राजाओं का शासन हैदराबाद के पूर्वी भाग तेलंगाना में था।

1969 में आंदोलन के दौरान 300 लोगों की मौत

वर्ष 1969 में तेलंगाना को अलग करने की मांग उठने के बाद 1972 और 2009 में दो बड़े आंदोलन हुए और इन आंदोलनों ने ही तेलंगाना को अलग किया। 1969 में आंदोलन के दौरान करीब 300 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद, अलग तेलंगाना राज्य की मांग और तेज होती चली गई। 2009 में तेलंगाना के गठन के लिए के चंद्रशेखर राव (केसीआर) भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। इसके बाद, वर्षों के अथक संघर्ष और शांतिपूर्ण विरोध का अंत विजय के ऐतिहासिक क्षण में हुआ। दो जून, 2014 को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में तेलंगाना के गठन ने लोगों के सपनों को साकार किया।

नए राज्य के गठन में केसीआर का अहम योगदान

केसीआर ने तेलंगाना क्षेत्र की चिंताओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन नेताओं की दृढ़ता और अटूट प्रतिबद्धता आंदोलन के लिए एक प्रेरक शक्ति बन गई, जिससे हजारों लोगों को एक साझा लक्ष्य की खोज में एकजुट होने की प्रेरणा मिली।

स्थापना के बाद से समावेशी विकास और विकास पर फोकस

तेलंगाना ने अपनी स्थापना के बाद से समावेशी विकास और विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल व कृषि पर सरकार के प्रयास ने अपने नागरिकों के जीवन को बदल दिया है। राज्य में सिंचाई परियोजनाओं, औद्योगिक विकास और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इसने वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूत किया है।

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