आज समाज डिजिटल, अम्बाला: हरियाली तीज को सावन का प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के लिए कुछ खास होता है। सुहागन महिलाएं इस दिन व्रत रखती है। चारों ओर हरियाली होने के कारण ही इसे हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। हरियाली तीज आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम के साथ साथ शिव पार्वती का प्रतीक माना जाता है। ये त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के लिए मनाया जाता है।
कैसी मनाई जाती है हरियाली तीज?
हरियाली तीज के दिन महिलायें अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है। विवाहित के मायके से सिंधारा आता है सिंधारे में श्रृंगार का सामान, साड़ी, फल, मिठाई व स ससुराल वालो के लिए कपड़ें आदि भेजा जाता है। हरियाली तीज के दिन अपने मायके से आए सामान का ही इस्तेमाल करते है। हरियाली तीज पर महंदी जरूर लगानी चाहिए।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार व्रत रखने वाली महिलाओं को व्रत के दौरान सोने से बचना चाहिए। हरियाली तीज के दिन महिलाओं को अधिकतर हरे रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। जैसे हरे रंग की चूड़ियां, साड़ी आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। हरियाली तीज पर शिव पारवती की पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। इस दिन अपनी सास व सुहागन महिलाओं के पांव छूकर उन्हें सुहागी देनी चाहिए। हरियाली तीज पर झूले झूलते हैं और नाच-गान किया जाता हैं।
हरियाली तीज की पूजा विधि
इस दिन सुहागन महिलाएं जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र पहन लें। इसके बाद आप पूजा की तैयारी शुरू करें। सबसे पहले पूजा का स्थान अच्छे से साफ करें और लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता पार्वती, भगवान शिव और गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कर लें। आप चाहें तो पूरे शिव परिवार की प्रतिमा भी पूजा स्थान पर स्थापित कर सकते हैं।
फिर आप भगवान गणेश जी का पूजन करें और साथ ही माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करें। पूजा के दौरान माता पार्वती को श्रृंगार की सामान जैसा चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी और बाकी सामान चढ़ाए और भगवान शिव को भी वस्त्र आर्तित करें। आप घी का दीपक जलाकर हरियाली तीज व्रत कथा सुने और अंत में माता पार्वती की आरती करें। सुहागन महिलाएं अपनी सास या नन्द को श्रृंगार का सामान व कपड़े भेट स्वरुप दें सकते है।
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