***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 23/10/2022, रविवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
वृषभ
घर-परिवार के साथ आराम तथा मनोरंजन के साथ समय व्यतीत होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोध होगा। काम करते समय लापरवाही न करें। चोट लग सकती है। थकान तथा कमजोरी महसूस होगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।
तिथि———- त्रयोदशी 18:02:43 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—उत्तरा फाल्गुनी 14:33:18
योग————- ऐन्द्र 16:05:24
करण———– वणिज 18:02:43
करण——- विष्टि भद्र 29:49:00
वार———————— रविवार
माह———————– कार्तिक
चन्द्र राशि——————- कन्या
सूर्य राशि——————– तुला
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————–शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————-नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:24:56
सूर्यास्त—————- 17:41:41
दिन काल————- 11:16:45
रात्री काल————- 12:43:52
चंद्रास्त————— 16:38:16
चंद्रोदय—————- 29:03:28
लग्न—– तुला 5°26′ , 185°26′
सूर्य नक्षत्र——————- चित्रा
चन्द्र नक्षत्र——— उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————–रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
पा—- उत्तरा फाल्गुनी 08:25:49
पी—- उत्तरा फाल्गुनी 14:33:18
पू—- हस्त 20:38:28
ष—- हस्त 26:41:25
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=तुला 05 :29 चित्रा , 4 री
चन्द्र =कन्या 05 °23, उ o फ़ा o , 3 पा
बुध =कन्या 24 ° 34′ हस्त ‘1 पे
शुक्र=तुला 04°05, चित्रा ‘ 4 री
मंगल=मिथुन 01°30 ‘ मृगशिरा’ 3 का
गुरु=मीन 06°30 ‘ उ o भा o, 1 दू
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 19°50 भरणी , 2 लू
केतु=(व) तुला 19°50 विशाखा , 4 ता
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल 16:17 – 17:42 अशुभ
यम घंटा 12:03 – 13:28 अशुभ
गुली काल 14:53 – 16:17 अशुभ
अभिजित 11:41 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 16:11 – 16:57 अशुभ
वर्ज्यम 23:04 – 24:41* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:25 – 07:50 अशुभ
चर 07:50 – 09:14 शुभ
लाभ 09:14 – 10:39 शुभ
अमृत 10:39 – 12:03 शुभ
काल 12:03 – 13:28 अशुभ
शुभ 13:28 – 14:53 शुभ
रोग 14:53 – 16:17 अशुभ
उद्वेग 16:17 – 17:42 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:42 – 19:17 शुभ
अमृत 19:17 – 20:53 शुभ
चर 20:53 – 22:28 शुभ
रोग 22:28 – 24:04* अशुभ
काल 24:04* – 25:39* अशुभ
लाभ 25:39* – 27:15* शुभ
उद्वेग 27:15* – 28:50* अशुभ
शुभ 28:50* – 30:26* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 06:25 – 07:21
शुक्र 07:21 – 08:18
बुध 08:18 – 09:14
चन्द्र 09:14 – 10:11
शनि 10:11 – 11:07
बृहस्पति 11:07 – 12:03
मंगल 12:03 – 12:59
सूर्य 12:59 – 13:56
शुक्र 13:56 – 14:53
बुध 14:53 – 15:49
चन्द्र 15:49 – 16:45
शनि 16:45 – 17:42
🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:42 – 18:45
मंगल 18:45 – 19:49
सूर्य 19:49 – 20:53
शुक्र 20:53 – 21:56
बुध 21:56 – 22:59
चन्द्र 22:59 – 24:04
शनि 24:04* – 25:07
बृहस्पति 25:07* – 26:11
मंगल 26:11* – 27:15
सूर्य 27:15* – 28:18
शुक्र 28:18* – 29:22
बुध 29:22* – 30:26
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
तुला > 05:03 से 07:14 तक
वृश्चिक > 07:14 से 09:34 तक
धनु > 09:34 से 12:04 तक
मकर > 12:04 से 13:42 तक
कुम्भ > 13:42 से 15:12 तक
मीन > 15:12 से 15:44 तक
मेष > 15:44 से 17:18 तक
वृषभ > 17:18 से 20:04 तक
कर्क > 20:04 से 00:34 तक
सिंह > 00:34 से 02:52 तक
कन्या > 02:52 से 05:00 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 13 + 1 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 18:03 से रात्रि 29:45 तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*भारतीय कार्तिक मास प्रारंभ
*धनतेरस (धन्वंतरी जयंती)
* प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
*रूप चतुर्दशी (यम दीप दान)
* मास शिवरात्रि व्रत
* सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 14:33से
* श्री हरिव्यास देवाचार्य पटोत्सव
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
उद्योगे नास्ति दारिद्र्य जपतो नास्ति पातकम् ।
मौनेनकलहोनास्ति नास्ति जागरितो भयम् ।।
।। चा o नी o।।
जो उद्यमशील हैं, वे गरीब नहीं हो सकते,
जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छू सकता.
जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते.
जो जागृत रहते है वो िनभरय होते है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: भक्तियोग अo-12
श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्धयानं विशिष्यते ।,
ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम् ॥,
मर्म को न जानकर किए हुए अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है, ज्ञान से मुझ परमेश्वर के स्वरूप का ध्यान श्रेष्ठ है और ध्यान से सब कर्मों के फल का त्याग (केवल भगवदर्थ कर्म करने वाले पुरुष का भगवान में प्रेम और श्रद्धा तथा भगवान का चिन्तन भी बना रहता है, इसलिए ध्यान से ‘कर्मफल का त्याग’ श्रेष्ठ कहा है) श्रेष्ठ है, क्योंकि त्याग से तत्काल ही परम शान्ति होती है॥,12॥,
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