***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 19/07/2022, मंगलवार
षष्ठी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
वृषभ
आज आपके कंधों पर कुछ अतिरिक्त कार्यभार आ सकता है। मेहनत सफल रहेगी। बिगड़े काम बनेंगे। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। आय में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने के अवसर मिलेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। धनार्जन होगा। घर परिवार में आपकी जिम्मेदारियां बढ़ेंगी, क्योंकि संतान या घर परिवार में किसी के विवाह में यदि समस्या आ रही थी, तो आपको समस्या का समाधान खोजना होगा। आपकी किसी नए वाहन को खरीदने की इच्छा पूरी होगी। आप धार्मिक क्षेत्रों की यात्रा पर भी जा सकते हैं, जो आपके लिए मानसिक शांति लेकर आएंगी। विद्यार्थियों को बौद्धिक व मानसिक बहुत से छुटकारा मिलता दिख रहा है। आपको किसी गरीब व्यक्ति के दान पुण्य के कार्यों में धन लगाना बेहतर रहेगा।
तिथि———— षष्ठी 07:49:04 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र— उत्तरा भाद्रपदा 12:10:26
योग———- अतिगंड 13:41:54
करण———- वणिज 07:49:04
करण——- विष्टि भद्र 19:35:44
वार———————- मंगलवार
माह———————– श्रावण
चन्द्र राशि—————— मीन
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:36:44
सूर्यास्त—————- 19:14:04
दिन काल————- 13:37:20
रात्री काल————–10:23:10
चंद्रास्त—————- 11:16:34
चंद्रोदय—————- 23:27:27
लग्न—- कर्क 2°10′ , 92°10′
सूर्य नक्षत्र—————– पुनर्वसु
चन्द्र नक्षत्र——— उत्तरा भाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
**** ग्रह गोचर ****
झ—- उत्तरा भाद्रपदा 06:08:39
ञ—- उत्तरा भाद्रपदा 12:10:26
दे—- रेवती 18:15:25
दो—- रेवती 24:23:35
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कर्क 02:12 पुनर्वसु , 4 ही
चन्द्र = मीन 01°23, उ o भा o , 3 झ
बुध =कर्क 04 ° 07′ पुष्य ‘ 1 हु
शुक्र=मिथुन 06°05, आर्द्रा ‘ 1 कु
मंगल=मेष 15°30 ‘ भरणी ‘ 1 ली
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°50’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°50 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 15:50 – 17:32 अशुभ
यम घंटा 09:01 – 10:43 अशुभ
गुली काल 12:25 – 14:08 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:20 – 09:15 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:23 – 24:18* अशुभ
**** गंड मूल 12:10 – अहोरात्र अशुभ
**** पंचक अहोरात्र अशुभ
**** चोघडिया, दिन
रोग 05:37 – 07:19 अशुभ
उद्वेग 07:19 – 09:01 अशुभ
चर 09:01 – 10:43 शुभ
लाभ 10:43 – 12:25 शुभ
अमृत 12:25 – 14:08 शुभ
काल 14:08 – 15:50 अशुभ
शुभ 15:50 – 17:32 शुभ
रोग 17:32 – 19:14 अशुभ
**** चोघडिया, रात
काल 19:14 – 20:32 अशुभ
लाभ 20:32 – 21:50 शुभ
उद्वेग 21:50 – 23:08 अशुभ
शुभ 23:08 – 24:26* शुभ
अमृत 24:26* – 25:44* शुभ
चर 25:44* – 27:01* शुभ
रोग 27:01* – 28:19* अशुभ
काल 28:19* – 29:37* अशुभ
**** होरा, दिन
मंगल 05:37 – 06:45
सूर्य 06:45 – 07:53
शुक्र 07:53 – 09:01
बुध 09:01 – 10:09
चन्द्र 10:09 – 11:17
शनि 11:17 – 12:25
बृहस्पति 12:25 – 13:34
मंगल 13:34 – 14:42
सूर्य 14:42 – 15:50
शुक्र 15:50 – 16:58
बुध 16:58 – 18:06
चन्द्र 18:06 – 19:14
**** होरा, रात
शनि 19:14 – 20:06
बृहस्पति 20:06 – 20:58
मंगल 20:58 – 21:50
सूर्य 21:50 – 22:42
शुक्र 22:42 – 23:34
बुध 23:34 – 24:26
चन्द्र 24:26* – 25:18
शनि 25:18* – 26:10
बृहस्पति 26:10* – 27:01
मंगल 27:01* – 27:53
सूर्य 27:53* – 28:45
शुक्र 28:45* – 29:37
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
कर्क > 04:40 से 06:58 तक
सिंह > 06:58 से 09:14 तक
कन्या > 09:14 से 11:24 तक
तुला > 11:24 से 13:39 तक
वृश्चिक > 13:39 से 15:52 तक
धनु > 15:52 से 18:08 तक
मकर > 18:08 से 19:52 तक
कुम्भ > 19:52 से 21:26 तक
मीन > 21:26 से 22:00 तक
मेष > 22:00 से 00:32 तक
वृषभ > 00:32 से 02:23 तक
मिथुन > 02:23 से 04:40 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 6 + 3 + 1 = 25 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अ शुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
21 + 21 + 5 = 47 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
07:49 से 19:42 तक समाप्त
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
**** विशेष जानकारी ****
* सर्वार्थ सिद्धि योग 12:08 तक
* मंगला गौरी व्रत
*शीतला सप्तमी (उड़ीसा)
*पंचक अहोरात्र
**** शुभ विचार ****
कामधेनुगुण विद्या ह्यकाले फलदायिनी ।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम् ।।
।। चा o नी o।।
विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है. वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है. इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम।,
अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते॥,
जो कर्म शास्त्रविधि से नियत किया हुआ और कर्तापन के अभिमान से रहित हो तथा फल न चाहने वाले पुरुष द्वारा बिना राग-द्वेष के किया गया हो- वह सात्त्विक कहा जाता है॥,23॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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